भक्ति आंदोलन के दौरान संत कवियों ने अपनी भक्ति रचनाओं के द्वारा मानवीयाता को जो संदेश दिया वर्तमान समय में वह किस हद तक प्रसांगिक है
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भक्ति आन्दोलन मध्यकालीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक-धार्मिक सुधारकों की धारा द्वारा समाज विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार किया गया। यह एक मौन क्रान्ति थी।
यह अभियान सिक्खों के पहले गुरु बाबा नानक द्वारा भारतीय उप महाद्वीप में भगवान की पूजा के साथ जुड़े रीति रिवाजों के लिए उत्तरदायी था। गुरुद्वारे में गुरबानी का गायन, ये सभी मध्यकालीन इतिहास में (800 - 1700) भारतीय भक्ति आंदोलन से उत्पन्न हुए हैं।
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