Hindi, asked by hemak3347, 1 month ago

भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ​

Answers

Answered by Huzef048
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Answer:

हिन्दी साहित्य के चार कालों में केवल भक्तिकाल ही अपने सामाजिक, नैतिक साहित्यिक मान्यताओं के कारण स्वर्णकाल कहा जा सकता है। ... इस काल का साहित्य केवल वीर तथा श्रृंगार रस तक सीमित है। इस युग की वीरता निश्चित रूप से अद्वितीय हैं जो मुर्दा दिलो को जीवित कर सकती हैं परन्तु यह भाव लोकहित के विपरीत है..

Explanation:

भक्तिकाल के साहित्य का उद्देश्य सर्व उत्थान है। तुलसी ने लिखा है -

कीरति अति भूरि भल सोई ।

कीरति अति भूरि भल सोई ।सुरसार अड़ सकर हित होई ।।

आचार्य द्विवेदी के शब्दों में "समूचे भारतीय इतिहास में अपने ढंग का अकेला साहित्य है, इसी का नाम भक्ति साहित्य है।यह एक नई दुनिया है। भक्ति साहित्य एक महती साधन और प्रेम उल्लास का साहित्य है।यहाँ जीवन के सभी विषाद निराशाएँ तथा कुठायें मिट जाती हैं ।इसने निमज्जन करके भारतीय जनता को अलौकिक सुख और शान्ति मिलती है। यह सुख, शान्ति अन्य किसी काल में सम्भव नहीं है।"

Answered by seemabanwari7
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Answer:

आडम्बरों का खंडन- भक्ति काल में सभी आडम्बरों का खण्डन करते हुए मानवतावाद की स्थापना की गयी। कबीर ने मूर्ति-पूजा के विरोध में कहा- कांकर पत्थर जोरि के, मस्जिद लई बनाय । ... इस प्रकार भक्ति काल का महत्व साहित्य और भक्ति भावना दोनों ही दृष्टियों से बहुत अधिक है। इसी कारण इस काल को स्वर्ण युग कहा जाता है।

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