भक्ति की मुख्यता कितनी धाराएं होती हैं ? कबीर दास जी किस भक्ति धारा के कवि थे।
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उनकी नजर सामने थी| सूरज की चमक फीलिखित मदद के • दोनों बकरों का बुरी तरहलिखित मदद के आधार पर लगाया
में कहानी लिखकर उसे उचितवीर्षक
सीख लिखिए।
सी गांव से मकाल-दया जमीदार वा
को रीडियो बॉटना- एक बालिका का
घर जाना-रोटी तोडना-रोहीसेसी
नालडकी काजमीदार के पासजना
पोवनात्मानपाना-शिक्षा
से लहूलुहान होना और सड़क पर खून बहाना • इतना सारा ताजा खून देखकर
अपने-आप को न रोक पाना • खून का स्वाद लेने के लिए बकरों पर टूट पड़ना
सियार को देखकर बकरों के द्वारा अपनी शत्रुता भूल जाना • मिलकर सियार
पर हमला बोल देना • सियार को वहीं मार देना।
Question:- भक्ति की मुख्यता कितनी धाराएं होती हैं ? कबीर दास जी किस भक्ति धारा के कवि थे।
Answer:-⤵
कबीर एक लेखक था और वह किताबें बहुत ही भक्ति से लेकर उनमें इतनी भक्ति थी इतनी भक्ति तीसरी सकती क्योंकि भक्ति में कि कोई मुसीबत उनके सामने आने से पहले ही डर के चली जाती है कोई भी मुसीबत उनके सामने टिक नहीं पाते. अब यह तो जानते ही है कि आसमान में इतने सितारे हैं कि उन्हें गिनना मुश्किल है लेकिन उन आसमान के सितारों से भी अधिकतर ज्यादा भक्ति है कबीर के हृदय में जैसे हम स्माल सितारों को गिन नहीं पाते उसी तरह हम अनुभव नहीं कर सकते कि कबीर के ह्रदय में कितनी भागती है और आजकल के संसार में ऐसी भक्ति किसी के हृदय में पाना मुश्किल है.कबीर के मन में बहुत ही ज्यादा भागते हैं और हमें ऐसे लोगों की आजकल के संसार में बहुत जरूरत है.