भक्ति काव्य को कितने भागों में बांटा जाता है विवेचन करें
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हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्ति काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आदिकाल के बाद आये इस युग को 'पूर्व मध्यकाल' भी कहा जाता है। इसकी समयावधि 1375 वि.सं से 1700 वि.सं तक की मानी जाती है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है जिसको जॉर्ज ग्रियर्सन ने स्वर्णकाल, श्यामसुन्दर दास ने स्वर्णयुग, आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने भक्ति काल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लोक जागरण कहा। सम्पूर्ण साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इसी में प्राप्त होती हैं
संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
सगुण भक्ति
रामाश्रयी शाखा
कृष्णाश्रयी शाखा
निर्गुण भक्ति
ज्ञानाश्रयी शाखा
प्रेमाश्रयी शाखा
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