भक्ति में लीन मीरा को लोग क्या क्या कहते थे? और क्यों
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: मीरा ने स्वयं के लिए साची शब्द (विशेषण) का प्रयोग किया है, क्योंकि वे सहज रूप से कृष्ण की हो गई हैं। लोग अर्थात् समाज कहता है कि मीरा बावरी हो गई हैं अर्थात् वह संसार से विरक्त कृष्ण-प्रेम में पागल हो चुकी हैं।
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मीराबाई श्रीकृष्ण के प्रेम में रंगते-रंगते संसार के प्रति विरक्त हो गई थीं। उन्होंने सांसारिकता को बिलकुल भुला दिया था। मीरां श्रीकृष्ण के प्रेम में पैरों में घुघरू बाँधकर नाचती थीं। यह देखकर लोग उन्हें ‘पागल’ कहने लगे थे। वे साधुओं की संगति में बैठती थीं। यह देखकर लोग उनकी खिल्ली उड़ाया करते थे। उनकी सास और राणा को मीरां का भक्तिभाव बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। इसलिए सास उन्हें ‘कुलनाशिनी’ कहती थी और राणा को लगता था कि ऐसे प्राणी को जीवित ही नहीं रहना चाहिए। इसलिए उन्होंने मीरा को जान से मारने के लिए विष का प्याला ही भेज दिया था। इस प्रकार भक्तिभाव में लीन मीरां को लोग तरह-तरह से संबोधित करते थे।