Hindi, asked by pv12j6, 5 months ago

भक्ति मार्ग के त्तहिंदी कत्तिते के नाम, और त्तित्र इकटठा कीत्ति।

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Answered by Anonymous
1

Answer:

which language is this?????????

Answered by krishnpal983
2

Answer:

भक्ति अपने इष्ट के प्रति प्रेम की पराकाष्ठा है, परम-प्रेम रूपा है, अमृतस्वरूपा है, यह अपने इष्ट के प्रति केंद्रित अतिशय प्रेम है।

नारद-भक्ति सूत्र में देवर्षि नारद कहते हैं:

अथातो भक्तिं व्याख्यास्याम:।।1।।

सा त्वस्मिन् परमप्रेमरूपा।।2।।

अमृतस्वरूपा च।।3।।

यल्लब्ध्वा पुमान् सिद्धो भवति, अमृतो भवति, तृप्तो भवति।।4।।

१. अब हम भक्ति की व्याख्या करेंगे.

२. वह भक्ति ईश्वर में परमप्रेम रूपा है ,

३. अमृतस्वरूपा है।

४. इसे प्राप्त कर मनुष्य सिद्ध हो जाता है, अमृत समान हो जाता है, तृप्त हो जाता है।

श्री रामचरितमानस में कलिपावनावतार महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भक्ति के कई रूप और कई भेद बताएं हैं जैसे - अनपायनी भक्ति, प्रेम-भक्ति, अविरल भक्ति, विमल भक्ति, परम विशुद्ध भक्ति, सत्य-प्रेम, गुढ़ प्रेम, सहज स्नेह भक्ति, नवधा भक्ति इत्यादि।

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