भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज की कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी. वी. समाचारों में आनेवाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।
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मार्क अस ब्रैंलिएस्ट आंसर
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भक्तिन के प्रसंग के साथ चर्चा निम्नलिखित है
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आज भी हमारे देश के बहुत सारे गाँव में लोग अपना मामला पंचायत के सामने ही रखते है। और समाज में इसका बहुत महत्व है। परन्तु पंचायत कई बार बड़े अमानवीय फैसले सुनाती है। आज भी हमारे समाज में विवाह संबंधी फैसले पंचायत में ही लिए जाते हैं। आज भी हमारे समाज में विवाह के मामले में पंचायत का रुख बड़ा ही क्रूर, संकीर्ण और रूढ़िवादी है। हमारे देश की पंचायतों में आज भी तानाशाही रवैय्या जारी है। अख़बारों तथा टी.वी में आए दिन इस प्रकार की घटनाएं सुनने को मिलती हैं कि पंचायत ने पति - पत्नी को भाई - बहन की तरह रहने पर मजबूर कर दिया, विवाह हो जाने के बाद भी पति - पत्नी को अलग रहने पर मजबूर किया। और पंचायत की बात न मानने पर उनकी हत्या कर दी। अतः भक्तिन की बेटी के मामले में भी जिस तरह पंचायत ने फैसला सुनाया वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है।
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