Bhakti Ras ka sthayi bhav
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bhakti ras ka sthayi bhav hai: dev rati.
भक्ति रस की परिभाषा :- इसका स्थायी भाव देव रति है इस रस में ईश्वर कि अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है अर्थात इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है
उदाहरण :-
अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई
रस की परिभाषा :-
काव्य को पढ़कर मिलने वाली अंदरूनी खुशी को रस कहा जाता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि यदि कोई कविता पढ़कर आप प्रेरित एवं उत्तेजित हो जाते हैं तब उस कविता में वीर रस का प्रयोग किया गया है।इसी प्रकार अन्य कई प्रकार के रस हैं जिन्हे मिलाकर काव्य का निर्माण किया जाता है। यह सभी रस काव्य को गढ़ने के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विश्व में मौजूद हर तरह के काव्य में किसी न किसी प्रकार का रस सम्मिलित है। किसी भी काव्य को पढ़कर उत्पन्न होने वाले अलग अलग भावों को रस का प्रकार कहा जाता है।
रस प्रायः 11 प्रकार के होते हैं :-
1. शृंगार रस 2. हास्य रस, 3. करूण रस 4. रौद्र रस 5. वीर रस 6. भयानक रस 7. बीभत्स रस 8. अद्भुत रस 9. शान्त रस 10. वत्सल रस 11. भक्ति रस