Bharat aur Tibet ki mahilao me antar spasht kijiye
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भारत और तिब्बत की महीलाओं में अंतर :-
भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है।प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं।
चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिला कार्य की प्रगति हमेशा ध्यानाकर्षक है। महिलाएं तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। देश में दूसरे क्षेत्रों की ही तरह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिलाओं के स्थानों को बहुत उन्नत किया गया है।
भारत में महिलाएं अब सभी तरह की गतिविधियों जैसे :- शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला और संस्कृति, सेवा क्षेत्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि में हिस्सा ले रही हैं। इंदिरा गांधी जिन्होंने कुल मिलाकर पंद्रह वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की, दुनिया की सबसे लंबे समय तक सेवारत महिला प्रधानमंत्री हैं।
भारत का संविधान सभी भारतीय महिलाओं को सामान अधिकार , राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं करने, अवसर की समानता , समान कार्य के लिए समान वेतन की गारंटी देता है। इसके अलावा यह महिलाओं और बच्चों के पक्ष में राज्य द्वारा विशेष प्रावधान बनाए जाने की अनुमति देता है, महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का परित्याग करने और साथ ही काम की उचित एवं मानवीय परिस्थितियाँ सुरक्षित करने और प्रसूति सहायता के लिए राज्य द्वारा प्रावधानों को तैयार करने की अनुमति देता है।
लोकतांत्रिक रुपांतरण करने के बाद तिब्बत में महिलाओं का राजनीतिक स्थान बहुत उन्नत किया गया और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा, जन सलाहकार सम्मेलन और न्यायालय में बहुत सी महिला अफसर और चर्च नज़र आयी हैं और महिला उद्यमी, महिला कलाकार तथा महिला खिलाड़ी भी समाज में सक्रियता से भूमिका अदा कर रही हैं। आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 85 प्रतिशत नेतृत्वकारी कार्यालयों में महिला कर्मचारी काम कर रही हैं। और महिलाओं के शिक्षण कार्यों का भी उल्लेखनीय विकास किया जा रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिला विकास योजना जारी की गयी जिस के तहत वैधानिक तौर पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की गयी है। इससे यह जाहिर है कि तिब्बती महिलाओं के स्थान की ऐतिहासिक प्रगतियां प्राप्त हो चुकी हैं।
लोकतांत्रिक रुपांतरण से पहले, तिब्बती महिलाओं को भारी उत्पीड़ित किया जाता था और वे समाज के निचले हिस्से में रहती थीं। पुराने तिब्बत के कानून के अनुसार महिलाओं का मूल्य कुछ औजारों से भी कम रहता था। महिलाओं को राज्य और सैन्य मामलों में भाग लेना भी मना हुआ था | शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले तिब्बत में महिलाओं को शिक्षा लेने का अवसर नहीं था। उस समय 90 प्रतिशत महिला निरक्षर रहती थी।