Hindi, asked by korammeena3, 6 months ago

bharat - china sambandh per prakash daliye​

Answers

Answered by mahakdohare5831
4

Answer:

ध्यातव्य है कि हज़ारों वर्षों तक तिब्बत ने एक ऐसे क्षेत्र के रूप में काम किया जिसने भारत और चीन को भौगोलिक रूप से अलग और शांत रखा, परंतु जब वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर वहाँ कब्ज़ा कर लिया तब भारत और चीन आपस में सीमा साझा करने लगे और पड़ोसी देश बन गए।

20वीं सदी के मध्य तक भारत और चीन के बीच संबंध न्यूनतम थे एवं कुछ व्यापारियों, तीर्थयात्रियों और विद्वानों के आवागमन तक ही सीमित थे।

दोनों देशों के मध्य व्यापक तौर पर बातचीत की शुरुआत भारत की स्वतंत्रता (1947) और चीन की कम्युनिस्ट क्रांति (1949) के बाद हुई।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एक स्वतंत्र तिब्बत के पक्ष में थे, नेहरू जी के इस विचार ने शुरुआती दौर में भारत और चीन के संबंधों को कमज़ोर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उल्लेखनीय है कि भारत और तिब्बत के मध्य आध्यात्मिक संबंध चीन के लिये चिंता का विषय था।

वर्ष 1954 में नेहरू और झोउ एनलाई ने “हिंदी-चीनी-भाई-भाई” के नारे के साथ पंचशील संधि पर हस्ताक्षर किये, ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिये कार्ययोजना तैयार की जा सके।

वर्ष 1959 में तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक और लौकिक प्रमुख दलाई लामा तथा उनके साथ अन्य कई तिब्बती शरणार्थी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बस गए। इसके पश्चात् चीन ने भारत पर तिब्बत और पूरे हिमालयी क्षेत्र में विस्तारवाद और साम्राज्यवाद के प्रसार का आरोप लगा दिया।

चीन ने भारत के मानचित्र में प्रदर्शित 104,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर दावा प्रस्तुत किया और दोनों देश के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा के संशोधन की मांग की।

वर्ष 1962 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख और तत्कालीन नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी में मैकमोहन रेखा के पार भारत पर आक्रमण कर दिया, जिसके बाद दोनों देश के मध्य युद्ध शुरू हो गया एवं संबंध और अधिक खराब स्थिति में पहुँच गए।

वर्ष 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ऐतिहासिक यात्रा ने दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के एक नए चरण की शुरुआत की और जिसके माध्यम से भारत और चीन के संबंध पुनः सामान्य होने लगे।

Similar questions