Social Sciences, asked by satyamsharmajscm, 11 months ago

Bharat k do prayedvipiya padosi deshon k Mae btado plz urgent hai guys??​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

मणिपुर सरकार के माननीय मंत्रीगण, मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, जादवपुर अंतर्राष्ट्रीय संबंध संघ, म्यांमा से आए आंगन्तुक, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल के कोंसली कॉर्प के सदस्यगण, विशेष सचिव (लोक राजनय), विदेश मंत्रालय और मेजबान मणिपुर विश्वविद्यालय

इम्फ़ाल की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान आप सबके साथ उपस्थित होकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। मेरी पहली यात्रा 1975 में हुई थी जब मैं ज़िला प्रशिक्षण के लिए कोहिमा आया था और मैंने यहाँ के आश्चर्यजनक स्थानों को देखा था। इन चार दशकों में महान परिवर्तन हुए हैं।

मैं इस क्षेत्र के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा रहा हूँ क्योंकि मैं 1970 के दशक के बाद से ही पड़ोसी देशों के साथ अपने सम्बन्धों को देखता रहा हूँ। मुझे इस बात की खुशी है कि इस सेमिनार के कारण मुझे यहाँ पुनः वापस आने का मौका मिला।

पड़ोसी देशों के साथ संबंध भारत की विदेश नीति का केन्द्रीय तत्व रहा है। हमारा मानना है कि शांतिपूर्ण परिवेश से हमें विकास के अनिवार्य कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी। यह भी स्पष्ट है कि एक स्थिर एवं समृद्ध दक्षिण एशिया से भारत की समृद्धि में भी योगदान मिलेगा।

भारत न सिर्फ द्विपक्षीय तौर पर बल्कि सार्क तंत्र के ज़रिए भी मैत्री के क्षेत्रों को मजबूत बनाने और अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा और हित कल्याण को बढ़ावा देने के लिए आगे बढ़कर कार्य करने के लिए तैयार है। हमारा यह भी मानना है कि इस नजरिए से हम पड़ोसी देशों को अपनी-अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक रूपरेखा उपलब्ध होगी।

सार्क ने उतनी उपलब्धि अर्जित नहीं की है जितनी हमे आशा थी। परंतु हम विविध क्षेत्रों में अंतर-संपर्क व्यवस्था को बढ़ावा देने और विश्वास बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इनमें व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना और भारत की त्वरित आर्थिक प्रगति के आधारा पर सभी पड़ोसी देशों के लिए जीत की स्थिति सुनिश्चित करना शामिल है।

आज के इस सम्मेलन की विषय वस्तु हमारे कुछ पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संदर्भ में न कि बहुपक्षीय रूप रेखा के अंतर्गत सम्बन्धों को बढ़ावा देने पर केन्द्रित है। मैं इन पड़ोसी देशों के साथ भारत के सम्बन्धों पर संक्षेप में कुछ बातें कहूँगा। परंतु मैं बताना चाहूँगा कि सामान्य संदर्भ में भारत अपने पड़ोसी देशों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करता है। फ्रौस्ट ने कहा था कि "अच्छी दूरी अच्छे पड़ोसी बनाते हैं।" यह बात कुछ हद तक सही है परंतु आज हम इस बात को जानते हैं कि अच्छे पड़ोसियों के संबंध स्थापित करने के लिए लोगों से लोगों के बीच संपर्कों तथा व्यापार और राजनैतिक समझ की ज़रूरत होती है।

भारत की खास ज़िम्मेदारी बनती है क्योंकि हम सभी पड़ोसी देश हैं। मैं अपनी बात इस तथ्य से आरंभ करना चाहूँगा कि हमारे संबंध गतिशील हैं, न कि ठहरे हुए। आज जो मैं कहने जा रहा हूँ वे बातें व्यापक पैटर्न को परिभाषित करती हूँ परंतु हो सकता है कि कल ही इन ब्योरों में कुछ बदलाव आ जाए।

first read and then mark it's as brainleist........

@yuvraj3810Rajput

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