Bharat ka badalta Rupe essay in hindi
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मीडिया वालों का भी बहुत शानदार रोल रहा। कुछ नोटबंदी पर सरकार के फैसलें के पक्ष में खड़े दिखाई दिए व् कुछ विपक्ष में। कुछ न्यूज़ चैनल्स को लोग लाइनों में मजे लेते दिखाई दिए दूसरी तरफ कुछ को मरते। कुछ चैनल्स के अनुसार लगभग सौ लोगों ने लाइनों में खड़े होकर अपनी जान गवाई।
परंतु प्रश्न यह है कि ये लोग कुछ वर्ष पहले सिलेंडर की सुबह 4 बजे से ही लगने वाली लाइनों से कैसे बचे या फिर जब फिल्म या मैच की टिकट के लिए खड़ा होना पड़ता है फिर कोई पहाड़ क्यों नहीं टूटता।
नोटबंदी की वजह से पुराने जमानें में सफल बार्टर पद्धति फिर से कारगर सिद्ध हुई। लोगों ने बिना पैसे के भी दिन गुजारने सीख लिए। सच कहूं हमें तो कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। बस थोड़ा एडजस्ट करना पड़ा। देश के लिए थोड़ी बहुत तकलीफ जरूरी भी है।
परंतु प्रश्न यह है कि ये लोग कुछ वर्ष पहले सिलेंडर की सुबह 4 बजे से ही लगने वाली लाइनों से कैसे बचे या फिर जब फिल्म या मैच की टिकट के लिए खड़ा होना पड़ता है फिर कोई पहाड़ क्यों नहीं टूटता।
नोटबंदी की वजह से पुराने जमानें में सफल बार्टर पद्धति फिर से कारगर सिद्ध हुई। लोगों ने बिना पैसे के भी दिन गुजारने सीख लिए। सच कहूं हमें तो कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। बस थोड़ा एडजस्ट करना पड़ा। देश के लिए थोड़ी बहुत तकलीफ जरूरी भी है।
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