Hindi, asked by Avinashshirsat6999, 1 year ago

Quotation on madhur vani in hindi

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Answered by Anonymous
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यह दोहा एक मणि है यह मानवीय मनोविज्ञान, तत्वमीमांसा और भारतीय दर्शन के मूल सिद्धांत से संबंधित है। वैदिक साहित्य के पूर्वजों ने भाषण पर अत्यधिक जोर दिया है उन्होनें असंख्य श्लोकों में उल्लेख किया है कि हमारे भाषण का हमारे शारीरिक विनोद के साथ सीधा संबंध है। उन्होंने घोषणा की कि ध्वनि और दृष्टि सभी कंपनों के अंतर्निहित स्रोत हैं।

यह वैज्ञानिक रूप से बार-बार साबित हुआ है। बोले गए शब्द - मानव भाषण - विशेष रूप से सांस की उच्छेदन के साथ प्रवाह जबकि साँस लेने में कोई बात नहीं कर सकता इस प्रकार प्रणव या साँस लेने की प्रणाली ही भाषण को बाहर जाने वाले घटना की प्रक्रिया बनाती है। बोलने वाले शब्दों को पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए बाद में अफसोसिक या पछतावा होने के बजाय, किसी के भाषण पर उचित जांच और संतुलन बनाए रखना बेहतर होता है।

हम जानते हैं कि सभी ध्वनियां कंपन बनाते हैं। और ये कंपन दोनों स्पीकर और श्रोता को प्रभावित करते हैं। सुथिंग, दयालु और प्रेमपूर्ण शब्द नस्ल एकजुट करते हैं, जबकि कठोर भाषण नफरत जाती है। और, हम यह भी जानते हैं कि मनुष्य के भाषण मुख्य तत्वों में से एक है जो मानव जाति को बाकी जानवरों के राज्य से अलग करता है।

इस प्रकार, उपरोक्त परिप्रेक्ष्य के साथ हम कबीर का अनुमान लगा सकते हैं, इस डोहा में बोली जाने वाली शब्द की शक्ति को क्रिस्टल किया जाता है। वह हमें ऐसे तरीके से बताने के लिए सिखाता है जिससे हमें सुसंगत और बनाये रखता है जिससे श्रोता को संचार में खुशी की भावना महसूस होती है।

अपने आप को प्रयोग करें और बोली जाने वाली शब्द की शक्ति का पता लगाएं।
Answered by Anonymous
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