Hindi, asked by kankanachoudhury2, 11 months ago

Bharat Ki Tarah Tibet main bhi Atithi Devo Bhava ki Pratha Hai path ke Aadhar par spasht kijiye
please give the ans in hindi​

Answers

Answered by bhatiamona
51

Answer:

                                           अतिथि देवो भवः

अतिथि देवो भवः का अर्थ होता जब भी हमारे घर या देश में कोई बहार से आता हमें उसका सम्मान और आदर करना चाहिए | अतिथि को हम मेहमान कहते है , और मेहमान भगवान के समान होता है | हमें मेहमानों के साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए | यह हमारे संस्कार बताते है की सब की इज्ज़त ,आदर-सत्कार , और विनम्रता से पेश आना चाहिए |  यह भारतीय समाज का एक अहम हिस्सा है। हमें उसके साथ  कभी भी गलत तरीके से पेश नहीं आना चाहिए | अतिथि को हमें  खान पान का ध्यान रखना चाहिए  और उनके रहने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए । भारतीय संस्कृति में अतिथि का दर्जा पूजनीय है और वह देवों के समान है।

Answered by aafreen1421
109

Answer:

तिब्बत में अपरिचित व्यक्तियों को भी महिलाए चाय बनाकर दे दिया करती थी । वे उनसे पर्दा नहीं करती थी । अगर किसी व्यक्ति को डर है कि सारा मक्खन उसकी चाय में नहीं पड़ेगा तो वह खुद जाकर चाय मथकर ला सकता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वह भी अतिथि देवो भव की परंपरा है

Similar questions