History, asked by themanishasharma3264, 11 months ago

Bharat mein Swadeshi Andolan Par Ek Lekh​

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Answered by shubhra1503
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Answered by diyaverma2003
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स्वदेशी आन्दोलन

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था। स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था।

वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धीजी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे।[1] आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा है।

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