Bharat tendu yug ke a do pramukh visheshtaen likhiye
Answers
Answered by
1
Answer:
भारतेंदु युग के काव्य की प्रवृत्तियाँ (विशेषताएँ)
परम दुखमय तिमिर जबै भारत में छायो,
तबहिं कृपा करि ईश ब्रिटिश सूरज प्रकटायो॥
बहुत दिन बीते राम, प्रभु खोयो अपनो देस।
खोवत है अब बैठ के, भाषा भोजन भेष ॥
(बालमुकुन्द गुप्त)
सत्रु सत्रु लड़वाइ दूर रहि लखिय तमाशा।
प्रबल देखिए जाहि ताहि मिलि दीजै आसा॥
Answered by
0
Explanation:
इस युग की अधिकांश कविता वस्तूनिष्ठ एवम वर्णनात्मक है|छंद भाषा एवम अभिव्यंजना पद्धतीमे प्राचीनता अधिक है, नविनता कम | खडी बोली
का आंदोलन प्रारंभ हो चुका था किंतु कविता के क्षेत्र में ब्रज की सर्व सामान्य भाषा है|
hope it help you
mark me as brainlist
Similar questions