Hindi, asked by ashishjagwan4, 8 months ago

'भरत का भातृप्रेम' पाठ में मानव-मूल्यों की स्थापना की गई है। सिद्ध कीजिए।
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Answered by jjaajjajaja36
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Answer:

यह पंक्ति भरत जी ने श्रीराम के चरित्र के सकारात्मक पक्ष को उजागर करने हेतु कही है। इसका आशय है कि श्रीराम खेल खेलते समय भरत को जिताने हेतु जान-बुझकर हार जाते हैं। भरतजी कहते हैं कि भगवान राम बड़े ही दयालु और स्नेही प्रकृति के भाई हैं। वह खेल में अपने छोटे भाई भरत से इसलिए हार जाते थे ताकि उसे किसी भी प्रकार का कष्ट न हो और वह पूरे उत्साह के साथ खेल खेलता रहे। उनके इस व्यवहार के कारण भरत की सदैव जीत होती थी। इस तरह भरत अपने भाई की प्रशंसा करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके भाई के प्रति असीम श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव भी उजागर होता है।

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