bharet ko svech banane ke lea hum key ker sekte hay hinde 250 words
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1. हम अपने घरों का कचरा आंगन में एक बड़े से डस्टबीन में रोज जमा करें और घर के सभी सदस्यों को डस्टबीन का उपयोग करने को बाध्य करें. किसी भी आयोजन के उपरांत ऐसी स्थिति पैदा ना होने दें कि आयोजन का कचरा वहीं पड़ा रहे. पॉलीथिन का प्रयोग पूर्णतः वर्जित करें. उसकी जगह घर से स्वयं एक झोला लेकर निकलें, क्योंकि जब तक ग्राहक पोलीथिन की भीख मांगता रहेगा तब तक दुकानदार को भी ग्राहक बनाये रखने के लिये उसे पोलीथीन देना पड़ेगा. जब हम इस प्रकार से कचरा एकत्र करने लगेंगे (डस्टबीन में) तो नगर निगम को भी उस कचरे को उठाकर ले जाने में सुविधा होगी, सफाई के लिये उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और कॉलोनी वासी नगर निगम पर भी दबाव बना सकेंगे कि उसके कर्मचारी पहले से इकट्ठा कॉलोनी का कचरा ले जाएं और सही जगह पर नष्ट करें.
2. सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा, हमें स्वयं जागरुक होना होगा और अपने बच्चों, दोस्तों एवं पड़ोसियों को भी जागरुक करना होगा, सरकार पर बिना निर्भर हुए हमें एक दूसरे के सहयोग से घर के आसपास, गली या मोहल्ले में जगह जगह छोटे डस्टबिन भी लगाने होंगे. साथ ही आबादी से बाहर हमें मिलकर एक ऐसी जगह निश्चित करनी होगी जहां नियमानुसार सप्ताह में एक या दो बार डस्टबिन का सारा कचरा इकट्ठा किया जा सके, घरों में पॉलीथीन का इस्तेमाल भी कम करना होगा और एक दूसरे पर साफ-सफाई को लेकर नजर भी रखनी होगी!
3. शहर और गांव की सबसे महत्वपूर्ण समस्या कचरा है चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों न हो. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोगों में जागरूकता की कमी और स्थानीय सहयोग का आभाव. कचरा एकत्रित करने का निश्चित स्थान निर्धारित होना चाहिए. कचरे को शहर और बस्ती से दूर कही एकत्रित किया जाए. यदि वह रिसाइकल हो सकने वाला कचरा हो तो उन्हें अलग से एकत्रित किया जाए जिससे उसे पुनर्निर्मित करके फिर से उपयोग में लाया जा सकें. गली मुहल्ले में स्थान स्थान पर डस्टबिन का उपयोग किया जाए. आसपास के लोगों को जागरूक करें. कूड़े को बाहर खुले में न फेंका जाए तथा नालियों की नियमित साफ सफाई की जाए. आसपास का वातावरण हरा भरा रहे जिससे शुद्ध वायु मिल सके. प्लास्टिक का प्रयोग न किया जाए. कचरे से कुछ रासायनिक खाद भी बनायीं जाने लगी है जिसका उपयोग किसान अपने खेतो में फसल उगाने में कर सकता है. गांवों में प्रायः निकलने वाला कचरे का सीधे जैविक खाद के रूप में उपयोग हो सकता है जिससे आसपास साफ सफाई भी रहेगी और कचरे का भी उपयोग हो जायेगा. इस प्रकार हमारा गांव, शहर, मुहल्ला साफ सुथरा बना रहेगा.
2. सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा, हमें स्वयं जागरुक होना होगा और अपने बच्चों, दोस्तों एवं पड़ोसियों को भी जागरुक करना होगा, सरकार पर बिना निर्भर हुए हमें एक दूसरे के सहयोग से घर के आसपास, गली या मोहल्ले में जगह जगह छोटे डस्टबिन भी लगाने होंगे. साथ ही आबादी से बाहर हमें मिलकर एक ऐसी जगह निश्चित करनी होगी जहां नियमानुसार सप्ताह में एक या दो बार डस्टबिन का सारा कचरा इकट्ठा किया जा सके, घरों में पॉलीथीन का इस्तेमाल भी कम करना होगा और एक दूसरे पर साफ-सफाई को लेकर नजर भी रखनी होगी!
3. शहर और गांव की सबसे महत्वपूर्ण समस्या कचरा है चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों न हो. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोगों में जागरूकता की कमी और स्थानीय सहयोग का आभाव. कचरा एकत्रित करने का निश्चित स्थान निर्धारित होना चाहिए. कचरे को शहर और बस्ती से दूर कही एकत्रित किया जाए. यदि वह रिसाइकल हो सकने वाला कचरा हो तो उन्हें अलग से एकत्रित किया जाए जिससे उसे पुनर्निर्मित करके फिर से उपयोग में लाया जा सकें. गली मुहल्ले में स्थान स्थान पर डस्टबिन का उपयोग किया जाए. आसपास के लोगों को जागरूक करें. कूड़े को बाहर खुले में न फेंका जाए तथा नालियों की नियमित साफ सफाई की जाए. आसपास का वातावरण हरा भरा रहे जिससे शुद्ध वायु मिल सके. प्लास्टिक का प्रयोग न किया जाए. कचरे से कुछ रासायनिक खाद भी बनायीं जाने लगी है जिसका उपयोग किसान अपने खेतो में फसल उगाने में कर सकता है. गांवों में प्रायः निकलने वाला कचरे का सीधे जैविक खाद के रूप में उपयोग हो सकता है जिससे आसपास साफ सफाई भी रहेगी और कचरे का भी उपयोग हो जायेगा. इस प्रकार हमारा गांव, शहर, मुहल्ला साफ सुथरा बना रहेगा.
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