Hindi, asked by gkhuteta7491, 1 year ago

Bharshatacahr mitao naya bhart banao is pr nibhand

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Answered by ashish367
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भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे होती है ?


अक्सर हमे समाचारपत्रों, टीवी न्यूज़ में भ्रष्टाचार की खबर देखने को मिलती है एक जमाना हुआ करता था की लोग कितने कम रूपये के लिए भ्रष्टाचार करते थे लेकिन आज जब भी कोई भ्रष्टाचार होता है है हम खुद बड़े चाव से देखते है उस भ्रष्टाचार में जो रूपये है उसमे कितने अधिक जीरो यानी 0 जुड़े हुए है यानी समय के साथ भ्रष्टाचार का रूप भयानक हो चूका है और इतनी आम हो चूकी है जैसे लगता है तो ये तो हमारे समाज का आम हिस्सा बन गया है

लेकिन जरा सोचिये इस भ्रष्टाचार यानि Corruption की शुरुआत कैसे होती है तो इसे बहुत ही साधारण तरीके से समझा जा सकता है जैसा की हमारे आचरण में मुफ्त में कोई भी चीज मिलने पर हमे बहुत ही ख़ुशी का अनुभव होता है और लगता है की हमारा काम भी बन जाये और काम के बदले हमे कुछ खर्च भी न करना पड़े जैसा की अक्सर हम सभी तो यात्रा जरुर करते है और यात्रा के लिए नियमो के अनुसार किराये का टिकट लेना अनिवार्य है अन्यथा पकड़े जाने पर जुर्माना होता है ये हम सभी अच्छी तरह से जानते है फिर भी जिस ट्रेन से हम रोज यात्रा करते है उसका टिकट लेना अपने शान के खिलाफ समझते है और हम सभी बिना डर के यात्रा भी करते है और यह मानकर चलते है की चलो पकड़े जायेगे तब देखा जायेगा बस हम सभी यही से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना शुरू करते है और जिस दिन हम पकड़े जाते है फिर अपने गलती को छुपाने के लिए सीधे रूप से पैसो का ऑफर कर देते है और पैसा आज के ज़माने में हर किसी की जरूरत है यह जितना अधिक होता है हमे लगता है उतना अधिक ही हो जाय फिर भला वह अधिकारी भी आपके साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा में साथ देता है यानि एक छोटी सी शुरुआत व्यवसाय बन जाता है

और कभी ऐसा भी होता है जल्दबाजी में हम ट्रेन छुटने के डर से टिकट नही ले पाते है और हम अपनी गलती भी मानते है और पकड़े जाने पर चालान कटवाने के लिए भी राजी होते है तो पहले से पहले से भ्रष्टाचार में लिफ्त वह अधिकारी चालान काटने के बजाय कुछ पैसे बिना किसी रसीद के लेने को तैयार होता है और वह बिना टिकट के आपको यात्रा की अनुमति भी दे देता है ऐसा करके वह सीधे रूप से आपके पैसो को सही जगह पहुचने के बजाय उसकी जेब में चला जाता है बस यही है भ्रष्टाचार जो कही भी किसी भी रूप में शुरू हो सकता है इसके लिए जितना सरकारी तन्त्र जिम्मेदार है उससे कही अधिक हम सभी भी जिम्मेदार है

भ्रष्टाचार को कैसे रोके


आज के ज़माने में हर ईमानदार व्यक्ति भ्रष्टाचार के दंश से परेशान है जो व्यक्ति ईमानदार होते है वे अपने सभी कार्य मेहनत के बल पर हासिल करना चाहते है लेकिन जब कोई आपके सामने अनैतिक तरीके से आगे बढ़ता है तो इसका ठेस ईमानदार व्यक्ति के मन पर भी पड़ता है तो ऐसे में हर किसी के मुख से बस यही सवाल निकलता है की आखिर इस भ्रष्टाचार को कैसे रोके ?

तो इसका सीधा सा उत्तर है है इसकी शुरुआत खुद से कर सकते है अगर हर व्यक्ति मन में ठान ले की आज से वह कभी भी अपने कार्यो पूर्ति और निजी फायदा के लिए गलत रास्तो और कानून का उलंघन नही करेगा तो निश्चित ही इस भ्रष्टाचार रूपी राक्षस पर सत्य की जीत हो सकती है

भ्रष्टाचार को रोकने के तरीके और उपाय


1 – किसी भी देश में समाज का निर्माण में 3 महत्वपूर्ण अंग होते है वे है माता, पिता और शिक्षक, जिस देश में शिक्षा का स्तर जितना अधिक ऊचा होंगा वहा के लोग उतने अत्यधिक शिक्षित होंगे और इस शिक्षा की शुरुआत हमारे घर में माता पिता और शिक्षक से ही शुरू होता है और फिर बच्चे को जैसा शिक्षा मिलेगा वो बच्चा वैसा ही बनेगा यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है अक्सर छोटी छोटी बातो में माता पिता द्वारा जाने अनजाने में ही झूट बोला जाता है जो की यही झूट बच्चा भी बोलना सीख जाता है फिर आगे चलकर वही बच्चा अपने सुविधा के अनुसार झूट बोलने लगता है बस यही से शुरू हो जाती है भ्रष्टाचार की शुरुआत, यदि माता पिता और शिक्षक किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोलने का सलाह (Advice) दे तो निश्चित ही वह बच्चा हमेसा सत्य बोलेगा जो की भ्रष्टाचार को रोकने में काफी कारगर साबित होता है

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