bhartiya arya bhasha ke prakar ek prakar spasht kijiye
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भारतीय आर्यभाषाओं को काल की दृष्टि से तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है।
(क) प्राचीन भारतीय आर्य-भाषा – 1500 ई0 पूर्व से 500 ई0 पूर्व तक।
(ख) मध्य भारतीय आर्य-भाषा– 500 ई0 पूर्व से 1000 ई0 तक।
(ग) आधुनिक भारतीय आर्य-भाषा – 1000 ई0 से वर्तमान समय तक।
भारतीय आर्य भाषाओं का संबंध भारोपीय भाषा परिवार की भारत-ईरानी शाखा से है।
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. )
संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।
इसके दो रूप हैं—
- वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) – वेदों की भाषा ।
- लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.) – संस्कृत साहित्य की भाषा ।
संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है।
भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है।
वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है ।
रामायण, महाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ ( 500 ई. पू. 1000 ई. )
पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य
प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य
अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक)
अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं।
इसके बाद के रूप को अवहट्ठ कहते हैं ।
एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
महाराष्ट्री- मराठी ।
ब्राचड़- सिंधी।
पैशाची- पंजाबी
अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ
कश्मीरी
हिंदी
मराठी
गुजराती
बंग्ला
उड़िया
असमिया
पंजाबी
सिंधी
भारतीय आर्य भाषाओं को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है जिसका पहला प्रकार है प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं तथा दूसरा प्रकार है मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं।
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं -> प्राचीन भारतीय आर्य भाषा को दो भागों में बांटा जा सकता है जिसमें एक भाग वैदिक संस्कृत तथा दूसरा भाग है संस्कृत भाषा।
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं -> पाली, प्राकृत, अपभ्रंश।
प्राचीन भारतीय आर्य भाषा -> आर्य लोग प्रारंभ में मुख्यतः संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे। संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत भाषा को संपूर्ण विश्व की भाषाओं की जननी माना जाता है।विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है।