Political Science, asked by raj261045, 6 months ago

Bhartiya rajnitik Chintan ki ki visheshtaen likhiye ​

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Answered by sumansinghmay22
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Answer:

प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिन्तन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं-

प्राचीन भारत में राजनीति के विविध नाम थे : प्राचीन भारत में राजशास्त्र को 'राजधर्म', 'दंडनीति', 'अर्थशास्त्र' और 'नीतिशास्त्र' आदि नामों से संबोधित किया गया। पाश्चात्य जगत की तरह इसका कोई एक निश्चित नाम नहीं है।

राजधर्म – महाभारत के ‘शांतिपर्व’ में राजनीति को "राजधर्म" कहा गया है। प्राचीन भारत में राजतंत्र ही सबसे अधिक प्रचलित था, अत: राज्य और शासन के अध्ययन को राजा का धर्म कहा गया। राजधर्म में राजा के सभी कर्तव्य और शासन सम्बन्धी बाते सम्मिलित की गयी थी ।

दण्डनीति – इसे प्राचीन भारत में "प्रशासन का शस्त्र" समझा गया जिसका सम्बन्ध शासन के कार्यों अथवा शासन-तंत्र से रहा। कौटिल्य के मतानुसार मतानुसार बल प्रयोग या दण्ड के बिना कोई राज्य कायम नहीं रखा जा सकता। दण्ड के सम्बन्ध मे मनु ने कहा है कि कब सभी लोग सो रहे होते हैं तो दण्ड उनकी रक्षा करता है। उसी के भय से लोग न्याय का मार्ग अपनाते हैं।

अर्थशास्त्र – वर्तमान समय में 'अर्थशास्त्र' शब्द का प्रयोग प्रायः संपत्तिशास्त्र (economics) के लिए किया जाता है जिसका अध्ययन विषय धन व अर्थ की प्राप्ति के साधन तथा मनुष्य के हित में प्रयोग है। इसके विपरीत राज्यशास्त्र का अध्ययन विषय राज्य व शासन है। अतएव दोनों में बड़ा अंतर है। किन्तु कौटिल्य का कथन है कि 'अर्थ' शब्द से जैसे मनुष्य के व्यवसाय व धन्धे का बोध होता है, वैसे ही जिस भूमि पर रहकर वे व्यवसाय चलते हैं वह भूमि भी संबोधित हो सकती है, इसलिए भूमि को प्राप्त करने व उसका पालन करने का जो साधन है , उसे भी अर्थशास्त्र कहना उचित है । इस प्रकार इसे अर्थशास्त्र की भी संज्ञा दी गयी।

नीतिशास्त्र – जो शस्त्र भलाई-बुराई में भेद करे तथा उचित-अनुचित कार्यों का उल्लेख करे उसे 'नीतिशास्त्र' कहा जाता है। यह मार्गदर्शन मानव जीवन के किसी भी क्षेत्र में किया जा सकता है। राजनैतिक क्षेत्र में किए गए मार्गदर्शन के लिए भी नीतिशास्त्र शब्द का प्रयोग कर दिया जाता था। कामन्दक तथा शुक्र के राज्य एवं शासन के सम्बन्ध में जो रचनाएँ हैं उनको नीतिशास्त्र का नाम दिया है (शुक्रनीति, कामन्दकीय नीतिशास्त्र)। कामन्दक के समय जो ‘नीति’ शब्द राज्य की नीति के सम्बन्ध में प्रयुक्त किया जाता था वही अब सामान्य आचरण के लिए प्रयुक्त किया जाने लगा।

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