bhasha ke Vividh Roopo par Prakash daliye
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Explanation:
वस्तुतः जितने व्यक्ति हैं, उतनी भाषाएं हैं, कारण यह है कि किन्हीं दो व्यक्तियों के बोलने का ढंग एक नहीं होता। इसका प्रमाण यह है कि अंधकार में भी किसी की वाणी सुनकर हम उसे पहचान लेते हैं 1.परिनिष्ठत भाषा
भाषा का आदर्श रूप वह है जिसमें वह एक वृहत्तर समुदाय के विचार - विनिमय का माध्यम बनती है, अर्थात उसका प्रयोग शिक्षा, शासन, और साहित्य रचना के लिए होता है। हिंदी, अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी इसी श्रेणी की भाषाएं हैं। भाषा के इस रूप को मानक, आदर्श या परिनिष्ठित कहते हैं। जो अंग्रेजी के ' स्टैंडर्ड ' शब्द का रूपान्तर है। परिनिष्ठित भाषा विस्तृत क्षेत्र में प्रयुक्त और व्याकरण से नियंत्रण होती है ।
2. विभाषा ( बोली )
एक परिनिष्ठित भाषा के अंतर्गत अनेक विभाषाएँ या बोलियां हुआ करती है। भाषा के स्थानीय भेद से प्रयोग भेद में जो अंतर पड़ता है, उसी के आधार पर विभाषा का निर्माण होता है। जैसा हमने अभी देखा है, प्रत्येक व्यक्ति की भाषा दूसरे व्यक्ति से भिन्न होती है। ऐसी स्थिति में यह असंभव है कि बहुत दूर तक भाषा की एकरूपता कायम रखी जा सके। स्वभावत: एक भाषा में भी कुछ दूरी पर भेद दिखायी देने लगता है। यह स्थानीय भेद, जो मुख्यतः भौगोलिक कारणों से प्रेरित होता है, विभाषाओं का सर्जक बनता है। उदाहरणार्थ -
खड़ी बोली - जाता हूँ।
ब्रजभाषा - जात हौं।
भोजपुरी - जात हई।
मगही - जा ही।
इन चारों वाक्यों को देखने से भी भाषा का रूप स्पष्ट हो जाता है स्थान भेद से एक ही क्रिया विभिन्न रूप धारण कर लेती है फिर भी यह ग्रुप इतने भी नहीं है कि परस्पर समझ में ना आए बोधगम्यता रहते हुए स्थानीय भेद को भी विभाषा कहते हैं।
3. अपभाषा
भाषा में ही जब सामाजिक दृष्टि से ऐसे प्रयोग आ जाते हैं जो शिष्ट रुचि को अग्राह्य प्रतीत होते हैं तो उनको अपभाषा कहते हैं। अंग्रेजी में इसे स्लैंग कहते हैं। अपभाषा की निम्नलिखित विशेषताएं है- (क) शास्त्रीय आदर्शों की उपेक्षा- भाषा में शास्त्रीय आदशों जैसे शुद्धता ; श्लीलता आदि की रक्षा का आग्रह रहता है, किंतु अपभाषा में नहीं।
(ख) शब्दों के निर्माण के सिद्धांतों की उपेक्षा -भाषा में शब्दों का निर्माण कैसे होगा, इसके व्याकरण - समस्त नियम हैं। उन नियमों को ध्यान में रखकर ही शब्दों का या एक शब्द के अनेक रूपों का निर्माण होता है। अपभाषा में उन नियमों पर ध्यान नहीं दिया जाता। जैसे, टडैल या अगड़घत्त आदि शब्द किसी नियम से
4. विशिष्ट ( व्यावसायिक ) भाषा
समाज कोई अरूप वस्तु नहीं है। व्यक्ति को जब सामाजिक प्राणी कहा जाता है तो समाज के किसी विशिष्ट रूप को ही ध्यान में रखकर। समाज में उसकी कोई - न- कोई स्थिति होती है, वह कोई- न- कोई काम करता है। व्यवसाय के अनुसार अनेक श्रेणियाँ बन जाती है; जैसे, किसान, लोहार, बढ़ई, जुलाहा, सोनार, दर्जी, कुम्हार, शिकारी, मल्लाह, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, दुकानदार, पंडित, पुजारी, मौलवी आदि। इन सभी व्यवसायों के अलग- अलग शब्दावली होती है।
5. कूटभाषा
भाषा सामान्यत: अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का माध्यम है अर्थात् भाषा का प्रयोग अभिव्यंजन के लिए होता है, किंतु भाषा का एक और उपयोग है। संसार में जितना मिथ्या - भाषण होता है, वह सब किसी- न- किसी बात को छुपाने के लिए ही। अगर छिपाना उद्देश्य नहीं होता तो मिथ्या भाषण की कोई आवश्यकता न थी और मात्रा की दृष्टि से मिथ्या - भाषण कुछ कम नहीं होता। इसलिए एक विद्वान ने कहा है कि भाषा का काम बात को बताना नहीं, छिपाना है। अलंकारशास्त्र में व्याजोक्ति या छेकापहनुति आदि अलंकार गोपन के आधार पर ही खड़े है।
(6 ) कृत्रिम भाषा
कृत्रिम भाषा उसे कहते हैं जो स्वाभाविक रूप से विकसित नहीं हुई हो बल्कि जिस गढ़कर बनाया गया हो। संसार में भाषाओं की अधिकता के कारण बोधगम्यता मे बड़ी बाधा पड़ती है और जब तक एक-दूसरे की भाषाएं ज्ञात न हों तब तक परस्पर बात करना सम्भव नहीं है। इसको लेकर राजनीतिक, वाणिज्य, व्यवसाय, भ्रमण आदि में बहुत असुविधाएँ होती है। भाषा- भेद-जनित असुविधाओं को दूर कर अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के लिए एक सामान्य भाषा प्रस्तुत करना ही कृत्रिम भाषा के अविष्कार का उद्देश्य है। अतः चाहें तो कृत्रिम भाषा को अन्तरराष्ट्रीय भाषा भी कह सकते हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विगत दो शताब्दियों में सैकड़ों भाषाएं बनी गयीं , किंतु उनमें अधिकतर उत्पत्ति के साथ ही गतायु हो गयीं। आज एक ही कृत्रिम भाषा जी रही है और वह है एसपेरांतो। संसार में एसपेरांतो का प्रयोग करने वालों की संख्या अस्सी लाख बतायी जाती है।
7. मिश्रित भाषा
हलके-फुलके व्यापारिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अनेकत्र मिश्रित भाषा का उपयोग होता है। उदाहरणार्थ, पिजिन इंग्लिश को लीजिए जिसका प्रयोग चीन में होता है। पिजिन इंग्लिश में शब्द अंग्रेजी के रहते हैं किंतु ध्वनि- प्रक्रिया और व्याकरण चीनी का। यह भाषा संप्रेषण संबंधी स्थूल, प्रारम्भिक बातों तक सीमित है।
Answer:
gajab evam vistrit Vachan me antar