Bhavna se sambilit abhiyaan sambhav nhi h .lekhika bachendri pal ne yesa kyo kaha h?
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- आप कहते रहे हम तुम्हारे नहीं। हम तुम्ही को गले से लगाते रहे । तुम अलग पंथ की बात करते रहे। हम तुम्हें अपना पंथी बताते रहे। एक ही भूमि की माटी की है उपज । एक सुरभित पवन से रचे हैं गए पांच नदियों के पानी को पीकर बढ़े। एक ही नभ के सपने संजोते रहे। मत बनाओ लकीरें ये गुरुभूमि पर। वि
- आप कहते रहे हम तुम्हारे नहीं। हम तुम्ही को गले से लगाते रहे । तुम अलग पंथ की बात करते रहे। हम तुम्हें अपना पंथी बताते रहे। एक ही भूमि की माटी की है उपज । एक सुरभित पवन से रचे हैं गए पांच नदियों के पानी को पीकर बढ़े। एक ही नभ के सपने संजोते रहे। मत बनाओ लकीरें ये गुरुभूमि पर। विष भरी हवा में न बहते रहो। त्याग बलिदान की वीर संतान तुम। अपने ही रक्त में मत नहाते रहो। युगों से पथिक हम हैं एक पंथ के। निरंतर ढले एक संस्कार में। (i) एक ही भूमि की माट
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