Bheed Mein Khoya Aadmi ka Saransh
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भीड़ में खोया आदमी का सारांश
भीड़ में खोया आदमी लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखा गया निबंध है| इस निबंध में लेखक ने आज के समय की एक महत्वपूर्ण बढ़ती समस्या जनसंख्या के बारे में बताया है| इस निबंध में लेखक ने पाठकों को बताया हैं कि देश की बढती जनसंख्या बहुत बड़ी चिंता का विषय है|
लेखकने निबंध के माध्यम से इस कडवी सच्चाई को दिखाना है कि जहां एक ओर देश की जनसंख्या बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर संसाधन घटते जा रहे हैं|
जनसंख्या के बढ़ने से मुख्य रूप से निम्नलिखित समस्याएँ पैदा होती हैं -
नियम, व्यवस्था और अनुशासन का पालन न होना| यातायात की व्यवस्था ठीक न होना| रोज़गार की कमी होना , आवास की कमी होना , भोजन की कमी ,स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं की कमी| उपभोक्ता सेवाओं की कमी होना |कचहरी, दफ्तर, अस्पताल, स्टेशन आदि पर समय, शक्ति और धन का अपव्यय|
इस प्रकार हम देखते हैं कि लेखक वर्त्तमान समय की इस बड़ी समस्या को बाबू श्यामलाकान्त तथा उनके परिवार के जीवन के माध्यम से प्रस्तुत करके बताने की कोशिश कर रहे है बढ़ती समस्या जनसंख्या के कारण आरक्षण मिलना बहुत मुश्किल है|
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hope the above attached pictures will help