Hindi, asked by anki9835, 10 months ago

Bhumika of samay ka sadupyog

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Answered by aisha764412
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भूमिका- मानव जीवन में समय का अत्यधिक महत्व है। समय के मूल्य को पहचानना ही समय का सदुपयोग । बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता है। समय किसी का दास नहीं है। वह अपनी गति से चलता है। समय का महत्व न पहचानने वाला व्यक्ति अपना ही सत्यानाश करता है। एक उर्दू के शायर ने भी लिखा है- गया वक़्त फिर हाथ नहीं आता।”

समय सीमित है- मनुष्य जीवन में नपा-तुला ही समय होता है। जब हम अधिकांश समय व्यर्थ के कामों में नष्ट कर देते हैं तब हमें होश आता है। एक कहावत भी है-‘अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियां चुग गई खेत!” इसलिए प्रत्येक प्रबुद्ध व्यक्ति समय के महत्व को स्वीकार करता है। हमारा जीवन समय के परकोटे में बंद है। ईश्वर ने जितना समय हमें दिया है उसने एक क्षण की भी वृद्ध होना असंभव है। जिस राष्ट्र के व्यक्ति समय के मूल्य को समझते है राष्ट्र समृद्धिशाली होता है। समय का सदुपयोग करके निर्धन धनवान , निर्बल, सबल और मूर्ख विद्वान् बन सकता है।

अमूल्य धन- समय अमूल्य धन है। हमारा कत्र्तव्य है कि प्रात:काल उठकर जो कार्य करना है उसको निश्चित कर लें और दिन भर कार्य करके उसे समाप्त कर डालें। विद्यालय से जो समय बचता है उसका सदुपयोग अन्य कलाओं के सीखने में व्यय करें। व्यर्थ की गप्पों में समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए, थोड़ा मनोरंजन करना भी आवश्यक है। आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ना चाहिए। कबीर दास जी ने कहा भी है।

काल करे सो आज कर, आज कर सो अब।

पल में परलै होयगी, बहुरि करेगा कबदध॥

सुखों की प्राप्ति- समय का सदुपयोग करने वाले को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अपना कार्य समय पर करता है उसे कोई व्यग्रता नहीं होती। समय पर कार्य करने वाला व्यक्ति केवल अपना ही भला नहीं करता वरन् अपने परिवार, ग्राम तथा राष्ट्र की उन्नति में भी सहायक होता है। समय के सदुपयोग से मनुष्य धनवान्, बुद्धिमान् तथा बलवान् हो सकता है। लक्ष्मी उसकी दासी बन जाती है|उसकी संतान कभी भी पैसे के लिए दु:खी नहीं होती। यदि ध्यानपूर्वक देखें तो संसार में जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं, उनकी महानता के पीछे समय के सदुपयोग का मूल मंत्र छिपा हुआ है।

आलस्य भयंकर शत्रु- समय का मूल्य समय के बीते जाने पर ज्ञात होता है। समय के दुरुपयोग से दु:ख और दरिद्र ही हाथ लगते हैं। समय का भयंकर शत्रु आलस्य है। आलस्य जीवन का कीड़ा है। यदि वह लग जाए तो जीवन नष्ट कर देता है|आजकल बहुत-से नवयुवक अवकाश के दिनों में निठल्ले घर पर बैठे रहते हैं अथवा बुरी संगति में पड़कर अपने समय को बर्बाद कर देते हैं। सैमय का दुरुपयोग एक पाप है जो इस पाप के कीचड़ में गिर जाता है, (उसका उद्धार भी कभी नहीं हो सकता। कहावत भी है-“आषाढ़ का चूका किसान और डाल का चूका बंदर कहीं का नहीं रहता।” फाँसी से बचाने के लिए दी गई आज्ञा यदि समय पर नहीं पहुँचती तो कितना बड़ा अनर्थ हो सकता है)लखपति व्यापारी समय से चूक जाने से भिखारी बन सकता है। पाँच मिनट देर से स्टेशन पर पहुँचने से गाड़ी छूट जाती है और सारे कार्यक्रम धूल में मिल जाते हैं। परीक्षा में थोड़ी देर से पहुँचने पर छात्र परीक्षा से हाथ धो बैठता है। अत: समय के दुरुपयोग से हमें सदैव बचना चाहिए।

उपसंहार– समय का मूल्यांकन करके हम समय का सदुपयोग करें तो सफलता निश्चित रूप से मिल सकती है। अत: हमारा यह कत्र्तव्य है कि हम अपने समय का सदुपयोग करें और अपने महान् राष्ट्र को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएँ।

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