Bibiya kahani by mahadevi verma ka charitr chitran लिखना ?
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बिबिया ही रेखाचित्र का प्रधान – चित्र है, जो जन्म के कुछ समय पश्यात ही मात्र-विहीन हो जाती है और पिता माँ से पहले ही गुजर जाते हैं. अतः माँ – बाप के अभाव में उसका जीवन डामाडोल हो गया. बिबिया सबसे छोटी होने के कारण उसके विचार बड़े भाई कन्हई से नहीं मिलते थे. वह स्नेह चाहती थी परन्तु उस खोज में उसने अपना पूरा जीवन ही बिता दिया. लेखिका के अनुसार, उसका रूप धोबियों से मेल नहीं खाता था.
चरित्र की सर्वगुण बालिका की विशेषताएं कुछ इस प्रकार थी – आकृति चित्र, तेजस्विनी, परिश्रमी, सच्चरित्र, स्वाभिमानिनी, अभिमानिनी, गृह कार्य में कुशल, मर्यदाभीरू, सरल-प्रकृति इत्यादि . इस प्रकार उसके जीवन का घटना चक्र ही सिद्ध करता है कि गुणों से भरपूर होने के बाद भी वह जन्म से एक अभागिन थी. खेद इस बात का है कि उसके सद्गुण कभी उसके
महादेवी वर्मा लिखित बिबिया कहानी में बिबिया का चरित्र चित्रण निम्नलिखित है।
- बिबिया कभी भी लेखिका के घर जाती थी, उसकी मां लेखिका को दीदिया कहकर बुलाती थी। बिबिया लेखिका को मौसीजी कहकर बुलाती थी।
- बिबिया गेहूंए रंग की थी। वह हंसमुख स्वभाव की थी।
छोटे छोटे सफेद दांतों से उसकी बत्तीसी निकली ही रहती थी।
- उसकी आंखे बड़ी बड़ी थी। बिबिया पूरे संसार को देखने के लिए उत्सुक थी।
- बिबिया का शरीर सुडौल व गठिल था। वह सबसे अभागी धोबिन थी इसके बावजूद वह बहुत मेहनती थी। अपना ही नहीं दूसरों का काम करने में भी उसे आनंद मिलता था। वह दादी के हाथ से झाडू छीनकर झाड़ू लगाती, भौजाई के हाथ से लोई छीनकर रोटी बनाती, भाई के हाथों से स्त्री छीनकर कपड़े स्त्री करती।
- वह दिनभर काम करती रहती। उसे अच्छे कपड़े पहनना अच्छा लगता था। अपना यह शौक वह ग्राहकों के कपड़े पहनकर पूरा कर लेती थी।
- बिबिया जब पांच वर्ष की थी तब उसका ब्याह हो गया, गौना होने से पहले ही पति की मृत्यु हो गई।