Hindi, asked by Rhiro, 10 months ago

Bihaari Ke dohe (summary) class 10 in Hindi
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Answered by vatanveer
1

please Mark me as brainliest I beg you my friend and believe me it's absolutely right

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Rhiro: U sure?
vatanveer: yes
vatanveer: This is from the guide I wrote.buy it you would top
vatanveer: somebody thank me please at least for my hard work
krithi2001143: Nope...I am very sorry
Answered by krithi2001143
1

Heya Mate ✌✌✌

Here's your answer!!!

Stanza - by - Stanza explanation:

1) सोहत ओढ़ैं पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात।

मनौ नीलमनि सैल पर आतपु परयौ प्रभात॥

इस दोहे में कवि ने कृष्ण के साँवले शरीर की सुंदरता का बखान किया है। कवि का कहना है कि कृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र ऐसी शोभा दे रहा है, जैसे नीलमणि पहाड़ पर सुबह की सूरज की किरणें पड़ रही हैं।

2) कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।

जगतु तपोवन सौ कियौ दीरघ दाघ निदाघ।।

इस दोहे में कवि ने भरी दोपहरी से बेहाल जंगली जानवरों की हालत का चित्रण किया है। भीषण गर्मी से बेहाल जानवर एक ही स्थान पर बैठे हैं। मोर और सांप एक साथ बैठे हैं। हिरण और बाघ एक साथ बैठे हैं। कवि को लगता है कि गर्मी के कारण जंगल किसी तपोवन की तरह हो गया है। जैसे तपोवन में विभिन्न इंसान आपसी द्वेषों को भुलाकर एक साथ बैठते हैं, उसी तरह गर्मी से बेहाल ये पशु भी आपसी द्वेषों को भुलाकर एक साथ बैठे हैं।

3) बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ।

सौंह करैं भौंहनु हँसै, दैन कहैं नटि जाइ॥

इस दोहे में कवि ने गोपियों द्वारा कृष्ण की बाँसुरी चुराए जाने का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि गोपियों ने कृष्ण की मुरली इस लिए छुपा दी है ताकि इसी बहाने उन्हें कृष्ण से बातें करने का मौका मिल जाए। साथ में गोपियाँ कृष्ण के सामने नखरे भी दिखा रही हैं। वे अपनी भौहों से तो कसमे खा रही हैं लेकिन उनके मुँह से ना ही निकलता है।

4) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।

भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात॥

इस दोहे में कवि ने उस स्थिति को दर्शाया है जब भरी भीड़ में भी दो प्रेमी बातें करते हैं और उसका किसी को पता तक नहीं चलता है। ऐसी स्थिति में नायक और नायिका आँखों ही आँखों में रूठते हैं, मनाते हैं, मिलते हैं, खिल जाते हैं और कभी कभी शरमाते भी हैं।

5) बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन तन माँह।

देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह॥

इस दोहे में कवि ने जेठ महीने की गर्मी का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि जेठ की गरमी इतनी तेज होती है की छाया भी छाँह ढ़ूँढ़ने लगती है। ऐसी गर्मी में छाया भी कहीं नजर नहीं आती। वह या तो कहीं घने जंगल में बैठी होती है या फिर किसी घर के अंदर।

6) कागद पर लिखत न बनत, कहत सँदेसु लजात।

कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात॥

इस दोहे में कवि ने उस नायिका की मन:स्थिति का चित्रण किया है जो अपने प्रेमी के लिए संदेश भेजना चाहती है। नायिका को इतना लम्बा संदेश भेजना है कि वह कागज पर समा नहीं पाएगा। लेकिन अपने संदेशवाहक के सामने उसे वह सब कहने में शर्म भी आ रही है। नायिका संदेशवाहक से कहती है कि तुम मेरे अत्यंत करीबी हो इसलिए अपने दिल से तुम मेरे दिल की बात कह देना।

7) प्रगट भए द्विजराज कुल, सुबस बसे ब्रज आइ।

मेरे हरौ कलेस सब, केसव केसवराइ॥

कवि का कहना है कि श्रीकृष्ण ने स्वयं ही ब्रज में चंद्रवंश में जन्म लिया था मतलब अवतार लिया था। बिहारी के पिता का नाम केसवराय था। इसलिए वे कहते हैं कि हे कृष्ण आप तो मेरे पिता समान हैं इसलिए मेरे सारे कष्ट को दूर कीजिए।

8) जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।

मन काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥

आडम्बर और ढ़ोंग किसी काम के नहीं होते हैं। मन तो काँच की तरह क्षण भंगुर होता है जो व्यर्थ में ही नाचता रहता है। माला जपने से, माथे पर तिलक लगाने से या हजार बार राम राम लिखने से कुछ नहीं होता है। इन सबके बदले यदि सच्चे मन से प्रभु की आराधना की जाए तो वह ज्यादा सार्थक होता है।

All in One Summary:

बिहारी जी के 'दोहे' गागर में सागर के समान होते हैं। कहने के लिए वे बहुत छोटे हैं मगर उनके अर्थ बहुत गहरे हैं। उनके दोहों में भक्ति और प्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है। उनमें श्रृंगार रस का सुंदर रूप भी देखने को मिलता है। उनके कुछ सुंदर दोहों का समावेश इस पाठ में किया गया है। प्रथम दोहे में उन्होंने पीताम्बर पहने सांवले कृष्ण की तुलना नीलमनि प्रर्वत से की है जिस पर सूर्य का प्रकाश पड़ रहा है। दूसरे दोहे में उन्होंने ग्रीष्मऋतु में जंगल के सभी प्रणियों द्वारा साथ रहने की बात कही है। उनके अनुसार ऐसा लग रहा है मानो ऋषि के तपोबल के कारण सभी साथ रहने के लिए विवश हैं। तीसरे दोहे में गोपियों ने कृष्ण को तंग करने के उद्देश्य से उनकी मुरली छुपा दी है। चौथे दोहे में उन्होंने दो प्रेमी जोड़ों के बीच सभा में इशारों के द्वारा की गई बातों को दर्शाया है। पाँचवें दोहे में ग्रीष्मऋतु की प्रंचडता का वर्णन किया हुआ है। छठे दोहे में परदेश गए प्रेमी को प्रेमिका अपने ह्दय का हाल लिखने में स्वयं को असमर्थ पाती है। सातवें दोहे में बिहारी जी अपने आराध्य देव कृष्ण और अपने पिताजी से अपने दुख-दर्द मिटाने का आग्रह करते हैं। आठवें दोहे में वह मनुष्य को आडंबरों के स्थान पर सच्ची भक्ति करने के लिए प्रेरित करते हैं।

Hope it helps you ☯☯☯

Cheers ☺☺☺


Rhiro: Thank you Krithi!
krithi2001143: u r wlcm
krithi2001143: (∩_∩)
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