biography of sachin Tendulkar in hindi
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14 अप्रैल 1973 को मुम्बई में Sachin Tendulkar का जन्म हुआ. उनके पिता का नाम रमेश तेंदुलकर है और वह मराठी के प्रोफेशर थे और उन्हें किताबे लिखना उनका शौक था .उनके एक बढे भाई अजित तेंदुलकर और एक बहन सबिताऐ है सचिन तीनो भाई बहनो में सबसे छोटे हैं .
5 साल के सचिन का एक ही शौक था Cricket , Cricket और सिर्फ Cricket . 5 साल की उम्र में ही सचिन अपने से बड़ो बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते और खूब छक्के लगाते . इसे देखकर उनके बड़े भाई अजीत आश्चर्य में आ जाते .1984 में अजित 11 साल की उम्र में सचिन को लेकर महाराष्ट्या के रमाकांत अचरेकर के पास गए .उसी दिन से सचिन की आँखों में क्रिकेटर बनने का ख्याब पलने लगा . और उसी दिन घर लौटते समय सचिन ने अपने भाई से कहा मैं बाकि लोगो से अच्छा खेल सकता हु . यह था 11 साल के सचिन का आत्मविश्वास.
रमाकांत आचरेकन ने सचिन को तराशना शुरू कर दिया . पर रमाकांत आचरेकन को सचिन की Bat पकड़ने के तरीके से तोड़ी दिक्कत थी उन्हें लगता था इस तरह से bat पकड़कर अच्छा शॉट नहीं खेला जा सकता . तो उन्होंने सचिन की bat पकड़ने के तरीके में बदलाब किया पर सचिन उसके साथ comfortable नहीं थे और उन्होंने रमाकांत आचरेकन से request की , की मुझे वैसे ही bat पकड़ने दिया जाये , आज भी सचिन Bottom से ही bat पकड़ते हैं . और उन्हें यह आदत पढ़ी थी बचपन में छोटे सचिन बड़े भाई के bat से क्रिकेट खेलते और उनके छोटे छोटे हाथो से बड़ा bat पकड़ने में उन्हें दिक्कत होती इसलिए वह उसे नीचे से पकड़ते .

नन्हे Sachin Tendulkar अपने खेल का हर रिकॉर्ड अपनी dairy में लिखते . एक गुरु ही अपने शिष्य को समझ सकता है . रमाकांत आचरेकन ने सचिन की क्षमता को और निखारने की एक तरकीब निकाली . रमाकांत आचरेकन रोज़ 1 रुपए का सिक्का रखते और कहते जो सचिन को आउट करेगा उसे 1 रुपए का सिक्का दिया जाएगा , पर सचिन को कोई आउट ही नहीं कर पाता . और वह एक रुपए का सिक्का सचिन ही लेकर जाते . जब सचिन 14 साल के थे तब अपने समय के महानक्रिकेटर सुनील गावस्कर ने सचिन को अपने लाइट pad दिए जिसने सचिन को क्रिकेट में अच्छा प्रदशन करने को और encourage किया . और २० साल बाद इसी सचिन ने सुनील गावस्कर के टेस्ट मैच में 34 centuries के रिकॉर्ड को तोड़ा .
15 साल की उम्र Sachin Tendulkar का मुंबई टीम में selection हुआ ।1988 में सचिन ने गुजरात के against 100 रन की नवाद पारी खेली . और इसी साल सचिन ने दुलीप ट्रॉफी , ईरानी ट्रॉफी , रणजी ट्रॉफी में लगातार शतक लगाया और ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए .
और 16 साल की उम्र में 1989 में कराची में सचिन ने Indian Cricket team की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच खेला. और 15 रन बनाकर सचिन आउट हो गए . और इसी सीरीज में पेशावर में सचिन के नाक पर गेंद लगने की वजह से चोट लगी पर सचिन रुके नहीं और पूरा मैच खेला और 54 रन बनाये .
1990 में इंग्लड में पहली Century मारी . और इंग्लैंड में सचिन की पारी को देखकर सचिन की तुलना महान खिलाड़ियों में की जाने लगी . 1991-1992 के ऑस्ट्रेलिया टूर में सचिन ने 148 रन बनाये . और 1994 में इंडियन टीम में ओपनर की जगह ले चुके थे. .25 मई 1995 में सचिन ने अंजलि तेंदुलकर से शादी की .
2003 में Cricket World कप में सचिन ने 11 Match में 673 रन बनाये जिससे इंडिया फाइनल तक पहुच गयी पर ऑस्ट्रेलिया से हार गयी . पर सचिन को मन ऑफ़ Man of the Tournament award दिया गया .
पर 2005-2006 में सचिन को टेनिस एल्बो की शिकायत हो गयी . फिर माना जाने लगा सचिन अब क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे . पर अपने कठिन समय से निकलते हुए सचिन ने २००७ में इंडियन क्रिकेट टीम में वापसी की और 11,000 test runs पुरे किये. Border-Gavaskar ट्रॉफी में , 2007–08, ४ टेस्ट मैच में 493 रन बनाये .
Sachin ने एक बार फिर 2011 World Cup में बहुत उम्दा प्रदर्शन किया और 482 रन्स बनाये जिसमे दो centuries भी थी . इंडिया ने श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप जीत और यह सचिन का पहला वर्ल्ड कप था .
Sachin Tendulkar Awards & Achievements
Sachin पहले cricketers थे जिन्होंने ODIs में double सेंचुरी बनायीं , और एक मात्रा ऐसे खिलाडी हैं जिन्होंने 100 centuries और अंतर्राष्टीय क्रिकेर्ट में 30, 000 runs बनाये .
Sachin Tendulkar पास Test Cricket and the One Day Internationals में सबसे ज़्यादा रन और centuries बनाने का रिकॉर्ड है . सचिन ने 15921 runs और 51 centuries Test क्रिकेट में बनायीं . . और ODIs, में सचिन ने 18,426 runs और 49 centuries बनायीं .
ODIs में डबल सेंटूरीस बनाने वाले वह पहले खिलाडी हैं .
1997-98 में सचिन तेंदुलकर को Rajiv Gandhi Khel रत्न अवार्ड दिया गया ,
और November २०१३ में सचिन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया .
2014 में सचिन को भारत रत्न अवार्ड से नवाज़ गया . सचिन न केवल पहले ऐसे खिलाडी हैं जिन्हें भारत रत्न अवार्ड मिला बल्कि सबसे काम उम्र में भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति है .
5 साल के सचिन का एक ही शौक था Cricket , Cricket और सिर्फ Cricket . 5 साल की उम्र में ही सचिन अपने से बड़ो बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते और खूब छक्के लगाते . इसे देखकर उनके बड़े भाई अजीत आश्चर्य में आ जाते .1984 में अजित 11 साल की उम्र में सचिन को लेकर महाराष्ट्या के रमाकांत अचरेकर के पास गए .उसी दिन से सचिन की आँखों में क्रिकेटर बनने का ख्याब पलने लगा . और उसी दिन घर लौटते समय सचिन ने अपने भाई से कहा मैं बाकि लोगो से अच्छा खेल सकता हु . यह था 11 साल के सचिन का आत्मविश्वास.
रमाकांत आचरेकन ने सचिन को तराशना शुरू कर दिया . पर रमाकांत आचरेकन को सचिन की Bat पकड़ने के तरीके से तोड़ी दिक्कत थी उन्हें लगता था इस तरह से bat पकड़कर अच्छा शॉट नहीं खेला जा सकता . तो उन्होंने सचिन की bat पकड़ने के तरीके में बदलाब किया पर सचिन उसके साथ comfortable नहीं थे और उन्होंने रमाकांत आचरेकन से request की , की मुझे वैसे ही bat पकड़ने दिया जाये , आज भी सचिन Bottom से ही bat पकड़ते हैं . और उन्हें यह आदत पढ़ी थी बचपन में छोटे सचिन बड़े भाई के bat से क्रिकेट खेलते और उनके छोटे छोटे हाथो से बड़ा bat पकड़ने में उन्हें दिक्कत होती इसलिए वह उसे नीचे से पकड़ते .

नन्हे Sachin Tendulkar अपने खेल का हर रिकॉर्ड अपनी dairy में लिखते . एक गुरु ही अपने शिष्य को समझ सकता है . रमाकांत आचरेकन ने सचिन की क्षमता को और निखारने की एक तरकीब निकाली . रमाकांत आचरेकन रोज़ 1 रुपए का सिक्का रखते और कहते जो सचिन को आउट करेगा उसे 1 रुपए का सिक्का दिया जाएगा , पर सचिन को कोई आउट ही नहीं कर पाता . और वह एक रुपए का सिक्का सचिन ही लेकर जाते . जब सचिन 14 साल के थे तब अपने समय के महानक्रिकेटर सुनील गावस्कर ने सचिन को अपने लाइट pad दिए जिसने सचिन को क्रिकेट में अच्छा प्रदशन करने को और encourage किया . और २० साल बाद इसी सचिन ने सुनील गावस्कर के टेस्ट मैच में 34 centuries के रिकॉर्ड को तोड़ा .
15 साल की उम्र Sachin Tendulkar का मुंबई टीम में selection हुआ ।1988 में सचिन ने गुजरात के against 100 रन की नवाद पारी खेली . और इसी साल सचिन ने दुलीप ट्रॉफी , ईरानी ट्रॉफी , रणजी ट्रॉफी में लगातार शतक लगाया और ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए .
और 16 साल की उम्र में 1989 में कराची में सचिन ने Indian Cricket team की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच खेला. और 15 रन बनाकर सचिन आउट हो गए . और इसी सीरीज में पेशावर में सचिन के नाक पर गेंद लगने की वजह से चोट लगी पर सचिन रुके नहीं और पूरा मैच खेला और 54 रन बनाये .
1990 में इंग्लड में पहली Century मारी . और इंग्लैंड में सचिन की पारी को देखकर सचिन की तुलना महान खिलाड़ियों में की जाने लगी . 1991-1992 के ऑस्ट्रेलिया टूर में सचिन ने 148 रन बनाये . और 1994 में इंडियन टीम में ओपनर की जगह ले चुके थे. .25 मई 1995 में सचिन ने अंजलि तेंदुलकर से शादी की .
2003 में Cricket World कप में सचिन ने 11 Match में 673 रन बनाये जिससे इंडिया फाइनल तक पहुच गयी पर ऑस्ट्रेलिया से हार गयी . पर सचिन को मन ऑफ़ Man of the Tournament award दिया गया .
पर 2005-2006 में सचिन को टेनिस एल्बो की शिकायत हो गयी . फिर माना जाने लगा सचिन अब क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे . पर अपने कठिन समय से निकलते हुए सचिन ने २००७ में इंडियन क्रिकेट टीम में वापसी की और 11,000 test runs पुरे किये. Border-Gavaskar ट्रॉफी में , 2007–08, ४ टेस्ट मैच में 493 रन बनाये .
Sachin ने एक बार फिर 2011 World Cup में बहुत उम्दा प्रदर्शन किया और 482 रन्स बनाये जिसमे दो centuries भी थी . इंडिया ने श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप जीत और यह सचिन का पहला वर्ल्ड कप था .
Sachin Tendulkar Awards & Achievements
Sachin पहले cricketers थे जिन्होंने ODIs में double सेंचुरी बनायीं , और एक मात्रा ऐसे खिलाडी हैं जिन्होंने 100 centuries और अंतर्राष्टीय क्रिकेर्ट में 30, 000 runs बनाये .
Sachin Tendulkar पास Test Cricket and the One Day Internationals में सबसे ज़्यादा रन और centuries बनाने का रिकॉर्ड है . सचिन ने 15921 runs और 51 centuries Test क्रिकेट में बनायीं . . और ODIs, में सचिन ने 18,426 runs और 49 centuries बनायीं .
ODIs में डबल सेंटूरीस बनाने वाले वह पहले खिलाडी हैं .
1997-98 में सचिन तेंदुलकर को Rajiv Gandhi Khel रत्न अवार्ड दिया गया ,
और November २०१३ में सचिन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया .
2014 में सचिन को भारत रत्न अवार्ड से नवाज़ गया . सचिन न केवल पहले ऐसे खिलाडी हैं जिन्हें भारत रत्न अवार्ड मिला बल्कि सबसे काम उम्र में भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति है .
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पूरा नाम – सचिन रमेश तेंदुलकर
जन्म – 24 एप्रिल, 1973
जन्मस्थान – मुंबई
पिता – रमेश तेंदुलकर
माता – रजनी तेंदुलकर
विवाह – अंजली के साथ (Sachin Tendulkar wife Anjali)
सामान्य परिवार में बढे हुये सचिन ने अपनी शिक्षा मुंबई के शारदाश्रम विश्वविद्यालय में की। उनके भाई अजित तेंदुलकर इन्होंने बचपन में ही सचिन के अंदर के Cricketer को पहचानकर उन्हें सही से मार्गदर्शन किया। Cricket में के ‘द्रोणाचार्य’ रमाकांत आचरेकर इन्होंने सचिन को सक्षम शिक्षा दी। हँरिस शिल्ड मुकाबले में विनोद कांबली के साथ निजी 326 रन करते हुये 664 रनों की विक्रमी भागीदारी करने का पराक्रम किया और 15 साल की उम्र में वो मुंबई टीम में शामिल हुये।
1990 में इंग्लड के दौरे में अपने टेस्ट कारकीर्द में की पहली Century (नाबाद 119) मारी और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण आफ्रिका यहाँ के दौरे में Century का सिलसिला चलता रहा। अपने पहले २१ टेस्ट सामने विदेश में ही खेलने वाले सचिन की 1992-93 में की इंगल्ड के खिलाफ की टेस्ट मतलब भारत में पहली मॅच थी।
महत्त्वपूर्ण बात ये है की शारजा में कोका कोला वर्ल्ड कप Oneday match के सेमी फायनल और फायनल में के सचिन के न भूलने वाले ये ऐसे parformance के वजह से ‘चमत्कार’ के रूप में सभी लोग सचिन की तरफ देखने लगे। उसका ये performance ‘डेझर्ट स्टॉर्म’ के नाम से मशहूर हुयी। उसके बाद दो दिन बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फायनल match में सचिन ने फिर एक बार 131 बॉल में 134 रन निकाल भारत को जीत दिला दी।
इस मॅच के बाद ‘Cricket international’ इस पत्रिका ने भी उसका ‘दूसरा ब्रँडमन के रूप गौरव किया। और इतना ही नहीं तो खुद ब्रँडमन नही उसका स्वीकार किया।
2005-06 के बिच ‘टेनिस एब्लो’ और कंधो के दर्द के वजह से सचिन परेशान थे। फिर भी अपने खेल में थोडासा Different करके उसने अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखी। जागतिक क्रिकेट के इतिहास में उसके सर्वाधिक 39 century 4 डबल century का समावेश होकर 248 नाबाद ये सर्वोच्च रन संख्या है। तो one day मॅच के प्रदर्शन में उसने सर्वाधिक मतलब 42 century लगाई और कुल 89 हाफ century की रजिस्टर हुयी है।
सचिन के इस पुरे निरंतर खेल के वहज से उसको कप्तान किया गया लेकिन उसमे उसे सफलता नहीं मिली। लेकिन खेल के साथ साथ अपने व्यक्तिमत्व से सचिन ने दुनियाभर से प्रेम और आदर मिलने में सफलता प्राप्त की। महान कर्तुत्व हो के भी ego को सामने न लाते हमेशा संवेदनशील रहने वाले सचिन पूरी दुनिया के सामने एक मिसाइल बने।
आज दुनिया में बढ़ो से लेकर बच्चे के जुबान पर क्रिकेट मतलब सचिन तेंदुलकर ये ही नाम रहता है।
जन्म – 24 एप्रिल, 1973
जन्मस्थान – मुंबई
पिता – रमेश तेंदुलकर
माता – रजनी तेंदुलकर
विवाह – अंजली के साथ (Sachin Tendulkar wife Anjali)
सामान्य परिवार में बढे हुये सचिन ने अपनी शिक्षा मुंबई के शारदाश्रम विश्वविद्यालय में की। उनके भाई अजित तेंदुलकर इन्होंने बचपन में ही सचिन के अंदर के Cricketer को पहचानकर उन्हें सही से मार्गदर्शन किया। Cricket में के ‘द्रोणाचार्य’ रमाकांत आचरेकर इन्होंने सचिन को सक्षम शिक्षा दी। हँरिस शिल्ड मुकाबले में विनोद कांबली के साथ निजी 326 रन करते हुये 664 रनों की विक्रमी भागीदारी करने का पराक्रम किया और 15 साल की उम्र में वो मुंबई टीम में शामिल हुये।
1990 में इंग्लड के दौरे में अपने टेस्ट कारकीर्द में की पहली Century (नाबाद 119) मारी और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण आफ्रिका यहाँ के दौरे में Century का सिलसिला चलता रहा। अपने पहले २१ टेस्ट सामने विदेश में ही खेलने वाले सचिन की 1992-93 में की इंगल्ड के खिलाफ की टेस्ट मतलब भारत में पहली मॅच थी।
महत्त्वपूर्ण बात ये है की शारजा में कोका कोला वर्ल्ड कप Oneday match के सेमी फायनल और फायनल में के सचिन के न भूलने वाले ये ऐसे parformance के वजह से ‘चमत्कार’ के रूप में सभी लोग सचिन की तरफ देखने लगे। उसका ये performance ‘डेझर्ट स्टॉर्म’ के नाम से मशहूर हुयी। उसके बाद दो दिन बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फायनल match में सचिन ने फिर एक बार 131 बॉल में 134 रन निकाल भारत को जीत दिला दी।
इस मॅच के बाद ‘Cricket international’ इस पत्रिका ने भी उसका ‘दूसरा ब्रँडमन के रूप गौरव किया। और इतना ही नहीं तो खुद ब्रँडमन नही उसका स्वीकार किया।
2005-06 के बिच ‘टेनिस एब्लो’ और कंधो के दर्द के वजह से सचिन परेशान थे। फिर भी अपने खेल में थोडासा Different करके उसने अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखी। जागतिक क्रिकेट के इतिहास में उसके सर्वाधिक 39 century 4 डबल century का समावेश होकर 248 नाबाद ये सर्वोच्च रन संख्या है। तो one day मॅच के प्रदर्शन में उसने सर्वाधिक मतलब 42 century लगाई और कुल 89 हाफ century की रजिस्टर हुयी है।
सचिन के इस पुरे निरंतर खेल के वहज से उसको कप्तान किया गया लेकिन उसमे उसे सफलता नहीं मिली। लेकिन खेल के साथ साथ अपने व्यक्तिमत्व से सचिन ने दुनियाभर से प्रेम और आदर मिलने में सफलता प्राप्त की। महान कर्तुत्व हो के भी ego को सामने न लाते हमेशा संवेदनशील रहने वाले सचिन पूरी दुनिया के सामने एक मिसाइल बने।
आज दुनिया में बढ़ो से लेकर बच्चे के जुबान पर क्रिकेट मतलब सचिन तेंदुलकर ये ही नाम रहता है।
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