Hindi, asked by shamiyaraini786, 1 month ago

बलिहारी गुरु आपणैं ,घोहाडी कै बार। जिनि मानिष तैं देवता ,करत न लागी बार।

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Answered by 4332stpeterschd
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अर्थ_ कबीर द्वारा रचित प्रस्तुत दोहा "साखी" शीर्षक से लिया गया है। इस दोहा में कबीर गुरु की महिमा का वर्णन किये है। गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कबीरदास कहते है कि मैं अपने गुरु की महिमा का बखान अपने शब्दों से नहीं कर सकता, क्योंकि मेरे गुरु ने मेरे अन्धकार रूपी ज्ञान को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश किया हैं। मुझमें उन्होंनें प्रकाश का संचार किया हैं, जिससे मैं ईश्वर तक पहुंचने में सफल हो सकता हूं। ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग को दिखाकर मेरे गुरु ने थोड़ा भी विलम्ब नही किया। इसलिए मैं अपने गुरु के लिए स्वयं को बार-बार न्योछावर कर सकता हूं, क्योंकि मेरे गुरु ने मुझे सांसारिक मोह से मुक्ति डिलाकर मुझे मनुष्य से देवता बनाया है।
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