बलदेव चाचा क्या करते थे
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चाचा ज्ञानदेव तायल नहीं रहे। मगर उन्होंने कभी भी हमें पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। जब मेरे पिता एवं पूर्व मंत्री बलदेव तायल का निधन हुआ तो चाचा ने कहा था- उनके दो नहीं अपितु चार बेटे हैं। मुझे व मेरे भाई मुन्ना को वह अपने बेटे मुकुल और अतुल की तरह बेटे मानते थे। याद करूं तो चाचा का प्यार और अपनापन सामने आता है। वह केवल चाचा ही नहीं, अपितु बड़े भाई और दोस्त की तरह थे। आपातकाल के दौरान जब उनके पिता बलदेव तायल जेल गए थे तो उन्होंने हिम्मत के साथ पूरे परिवार को संभाला। उस दौरान एमरजेंसी का खौफ था, लेकिन वह निडर व साहसी की तरह अपनी भूमिका में अग्रणी रहे। 83 साल की उम्र में भी वह जिंदादिल इंसान थे।
अपने घर के पीछे बने खुले लॉन में रोज शाम को दोस्तों के साथ चाय और काॅफी का आनंद लेना उनकी दिनचर्या में शुमार था। साथ ही राजनीति व देश दुनिया की खबरों को सांझा करते थे। 36 बिरादरी के लोग उनका मान सम्मान करते थे। वह सबको बराबर मानते थे। अगर कोई उन्हें सर या सेठजी कहकर बुलाता तो वह प्यार से डांट देते और कहते थे कि मैं कोई बड़ा आदमी नहीं हूं। उन्हें चाचा, ताऊ या फिर ज्ञानबाबू कह कर बुलाओ तो अच्छा लगेगा। गणेश चतुर्थी और फाग उनका प्रिय त्योहार था। दोनों पर्व पर अपने मित्रों, सहयोगियों और शहर के लोगों को बुलाते तथा उनके साथ बैठकर प्रसाद और जलपान ग्रहण करते थे।