Book summary of the jungle book by rudyard kipling in hindi
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the Jungle book by Rudyard Kipling is an adventure story about a man cub named mowgli. mowgli is hunted by the evil tiger sher khan
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Hello Dear Friend
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⏭️⏭️वर्षों पहले रुडयार्ड किपलिंग ने 'द जंगल बुक' लिखी थी। रुडयार्ड किपलिंग का जन्म भारत में हुआ था और संभव है कि भारत के जंगलों से प्रेरित होकर उन्हें मोगली, बघीरा जैसे पात्र सूझे हों। उनकी लिखी कहानी कालजयी है। समय की धूल का इस पर कोई असर नहीं हुआ है। आज भी यह ताजा और प्रासंगिक लगती है।
1967 में पहली बार 'द जंगल बुक' बनी थी और 49 वर्ष बाद एक बार फिर यह फिल्म हाजिर है जिसे आधुनिक तकनीक ने और बेहतर बना दिया है। हमारे में से कई लोगों को दूरदर्शन पर प्रसारित हुई 'द जंगल बुक' याद होगी जिसका गाना 'चड्डी पहन कर फूल खिला है' आज भी कानों में गूंजता है। 'द जंगल बुक' निश्चित रूप से उन्हें यादों के गलियारे में ले जाएगी तो दूसरी ओर पहली बार देखने वाले बच्चों के लिए यह अद्भुत अनुभव होगा।
फिल्म की कहानी सभी जानते हैं। मनुष्य का बच्चा मोगली (नील सेठी) जंगल में भेड़ियों के झुंड के साथ पलता है। बघीरा और रक्षा उसके रक्षक हैं। जंगल के सभी जानवर उससे प्यार करते हैं, सिवाय शेर खान के। शेर खान ने मोगली के पिता की हत्या की थी और वह मोगली को भी मारना चाहता है, लेकिन सभी जानवरों के मोगली के प्रति प्यार को देखते हुए उसके लिए यह आसान नहीं है। मोगली बड़ा हो गया है और बघीरा का मानना है कि उसे अब इंसानों की बस्ती में लौट जाना चाहिए जबकि मोगली इसके लिए तैयार नहीं है।
फिल्म शुरुआत से ही आपको सब कुछ भूला देती है और जंगल की दुनिया अपने आगोश में ले लेती है। जंगल की दुनिया ज्यादा निराली और बेहतर लगती है। जहां सब कानून मानते हैं। उनमें प्यार है, भाईचारा है। मनुष्य की दुनिया से बेहतर लगती है जंगल और जानवरों की दुनिया।
शेर खान को मोगली शायद इसीलिए पसंद नहीं था क्योंकि वह मनुष्य था। शेर खान को आशंका रहती थी कि यह भी मनुष्य की तरह व्यवहार कर हमारी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकता है। बघीरा भी चिंता प्रकट करता है कि कही मनुष्य इसे बिगाड़ न दे, लेकिन उनका मोगली के प्रति यह प्यार भावुक करता है।
द जंग ल बुक के टिकट बुक करने के लिए क्लिक करें
फिल्म को विश्वसनीय बनाता है इसका रियलिस्टिक लुक। इसके लिए फिल्म की तकनीकी टीम बधाई की पात्र है। कहीं भी फिल्म में नकलीपन नहीं लगता। ऐसा लगता है मानो हम मोगली के साथ जंगल में उछलकूद कर रहे हों। थ्री-डी इफेक्ट्स फिल्म के लुक को और बेहतर बनाते हैं। कई ऐसे शॉट्स हैं जो आपको दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर करते हैं।
इन दिनों देखने में आया है कि हॉलीवुड फिल्मों में तकनीक फिल्म की कहानी पर भारी हो जाती है, लेकिन 'द जंगल बुक' के निर्देशक जॉन फेवरू ने फिल्म के इमोशन पर तकनीक को हावी नहीं होने दिया है। उन्होंने फिल्म को इस तरह प्रस्तुत किया है बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के अंदर छिपे बच्चे को भी फिल्म गुदगुदाएं। फिल्म से यही शिकायत रहती है कि कुछ दृश्यों में अंधेरा बहुत ज्यादा है।
'जंगल जंगल बात चली है पता चला है...' जैसा हिट गाना फिल्म में क्यों शामिल नहीं किया गया है, ये समझ के परे है। हिंदी वर्जन में इसे शामिल किया जाना था। प्रचार में दिखाकर फिल्म में शामिल न करना, एक तरह की ठगी है।
तकनीकी स्तर पर फिल्म लाजवाब है। बैकग्राउंड म्युजिक, सिनेमाटोग्राफी, स्पेशल इफेक्ट्स, रंगों का संयोजन परफेक्शन के साथ किया गया है।
नील सेठी पहली फ्रेम से ही मोगली नजर आता है। पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्होंने किरदार को अभिनीत किया है। फिल्म के हिंदी वर्जन में ओम पुरी, इरफान खान, नाना पाटेकर और प्रियंका चोपड़ा जैसे सितारों ने आवाज दी है और इन्होंने डबिंग इतने उम्दा तरीके से की है कि ये पात्र और अच्छे लगने लगते हैं। शेर खान के रूप में जहां नाना पाटेकर डराते हैं तो बालू के रूप में इरफान खान हंसाते हैं। किंग लुई के संवाद स्तर से नीचे हैं।
'द जंगल बुक' वयस्क भी देखें और अपने साथ बच्चों को भी ले जाएं। वे इस ब्लॉकबस्टर अनुभव को लंबे समय तक याद रखेंगे।
✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️
I hope it help you
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1967 में पहली बार 'द जंगल बुक' बनी थी और 49 वर्ष बाद एक बार फिर यह फिल्म हाजिर है जिसे आधुनिक तकनीक ने और बेहतर बना दिया है। हमारे में से कई लोगों को दूरदर्शन पर प्रसारित हुई 'द जंगल बुक' याद होगी जिसका गाना 'चड्डी पहन कर फूल खिला है' आज भी कानों में गूंजता है। 'द जंगल बुक' निश्चित रूप से उन्हें यादों के गलियारे में ले जाएगी तो दूसरी ओर पहली बार देखने वाले बच्चों के लिए यह अद्भुत अनुभव होगा।
फिल्म की कहानी सभी जानते हैं। मनुष्य का बच्चा मोगली (नील सेठी) जंगल में भेड़ियों के झुंड के साथ पलता है। बघीरा और रक्षा उसके रक्षक हैं। जंगल के सभी जानवर उससे प्यार करते हैं, सिवाय शेर खान के। शेर खान ने मोगली के पिता की हत्या की थी और वह मोगली को भी मारना चाहता है, लेकिन सभी जानवरों के मोगली के प्रति प्यार को देखते हुए उसके लिए यह आसान नहीं है। मोगली बड़ा हो गया है और बघीरा का मानना है कि उसे अब इंसानों की बस्ती में लौट जाना चाहिए जबकि मोगली इसके लिए तैयार नहीं है।
फिल्म शुरुआत से ही आपको सब कुछ भूला देती है और जंगल की दुनिया अपने आगोश में ले लेती है। जंगल की दुनिया ज्यादा निराली और बेहतर लगती है। जहां सब कानून मानते हैं। उनमें प्यार है, भाईचारा है। मनुष्य की दुनिया से बेहतर लगती है जंगल और जानवरों की दुनिया।
शेर खान को मोगली शायद इसीलिए पसंद नहीं था क्योंकि वह मनुष्य था। शेर खान को आशंका रहती थी कि यह भी मनुष्य की तरह व्यवहार कर हमारी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकता है। बघीरा भी चिंता प्रकट करता है कि कही मनुष्य इसे बिगाड़ न दे, लेकिन उनका मोगली के प्रति यह प्यार भावुक करता है।
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इन दिनों देखने में आया है कि हॉलीवुड फिल्मों में तकनीक फिल्म की कहानी पर भारी हो जाती है, लेकिन 'द जंगल बुक' के निर्देशक जॉन फेवरू ने फिल्म के इमोशन पर तकनीक को हावी नहीं होने दिया है। उन्होंने फिल्म को इस तरह प्रस्तुत किया है बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के अंदर छिपे बच्चे को भी फिल्म गुदगुदाएं। फिल्म से यही शिकायत रहती है कि कुछ दृश्यों में अंधेरा बहुत ज्यादा है।
'जंगल जंगल बात चली है पता चला है...' जैसा हिट गाना फिल्म में क्यों शामिल नहीं किया गया है, ये समझ के परे है। हिंदी वर्जन में इसे शामिल किया जाना था। प्रचार में दिखाकर फिल्म में शामिल न करना, एक तरह की ठगी है।
तकनीकी स्तर पर फिल्म लाजवाब है। बैकग्राउंड म्युजिक, सिनेमाटोग्राफी, स्पेशल इफेक्ट्स, रंगों का संयोजन परफेक्शन के साथ किया गया है।
नील सेठी पहली फ्रेम से ही मोगली नजर आता है। पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्होंने किरदार को अभिनीत किया है। फिल्म के हिंदी वर्जन में ओम पुरी, इरफान खान, नाना पाटेकर और प्रियंका चोपड़ा जैसे सितारों ने आवाज दी है और इन्होंने डबिंग इतने उम्दा तरीके से की है कि ये पात्र और अच्छे लगने लगते हैं। शेर खान के रूप में जहां नाना पाटेकर डराते हैं तो बालू के रूप में इरफान खान हंसाते हैं। किंग लुई के संवाद स्तर से नीचे हैं।
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