बरसते बादल कैसे पाठ है
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बरसते बादल कविता के कवी सुमित्रानंदन पंत जी है|प्रकृति के बेजोड़ कवी माने जाने सुमित्रा नंदन पंत जी का जन्म सन १९०० में हुवा |साहित्य लेखन केलिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया|सन १९७७ में आपका निधन हुवा |
प्रस्तुत कविता में कवि वर्ष रुतु की प्राकृतिक सुन्दरता का मनोहर वर्णन किया है | सावन(वर्ष रुतु)सब की प्रिय रुतु है |धरती पर पेड़ -पौधे ,सभी प्राणी ,यहाँ तक की धरती भी ख़ुशी से झूम उठती है |इस रुतु में घुमड़ घुमड़ कर गरजते एवं बरसते बादल अन्धकार के बिच आशा का प्रकाश उत्पन्न करते है |
धरती का कण कण वर्ष के जल से भीग जाता है |बारिश में प्रकृति ओर प्राणी का रोम- रोम, सिहर उठता है |इस रुतु में पुलकित मन इंद्रा धनुष रंग से परित होकर गीत गाते है |जीवन में सावन का मन भवन महीना आये |
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