"बरसते बादल" कविता में पंत जी ने वर्षा का महत्व कैसे स्पष्ट किया ? बताइए।
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सावन(वर्ष रुतु)सब की प्रिय रुतु है |धरती पर पेड़ -पौधे ,सभी प्राणी ,यहाँ तक की धरती भी ख़ुशी से झूम उठती है |इस रुतु में घुमड़ घुमड़ कर गरजते एवं बरसते बादल अन्धकार के बिच आशा का प्रकाश उत्पन्न करते है |धरती का कण कण वर्ष के जल से भीग जाता है |बारिश मेंप्रकृति ओर प्राणी का रोम- रोम, सिहर उठता है |इस रुतु में पुलकित मन इंद्रा धनुष रंग से परित होकर गीत गाते है |जीवन में सावन का मन भवन महीना आये ।
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