Hindi, asked by sweety3348, 1 year ago

brasthachar muckt bharat per nebhand

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Answered by RaviKumarNaharwal
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खर्च होनेवाली बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है, जिससे लक्षित समूहों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है. इस लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही ही कहा है कि ‘वंचितों, गरीबों और किसानों को उनके अधिकार दिये जा सकते हैं, युवाओं को आत्मनिर्भर और महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भ्रष्टाचार से निपटना होगा.’ केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ की ओर से नयी दिल्ली में बुधवार को आयोजित छठे  ‘ग्लोबल फोकल प्वाइंट कॉन्फ्रेंस ऑन एसेट रिकवरी’ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से कड़ाई से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और अफसरशाही को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है. याद करें तो पिछले साल सत्ता में आने से पहले उन्होंने  ईमानदार भारत के लिए ‘मिनिमम गवर्नमेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस’ का लोकप्रिय नारा दिया था. भ्रष्टाचार ही वह मुद्दा था, जिसके चलते पूर्व की कांग्रेसनीत  यूपीए-2 सरकार की साख को बट्टा लगा था और मतदाताओं ने कांग्रेस को हाशिये पर पहुंचा दिया था. लेकिन, अपने चुनावी अभियान में नरेंद्र मोदी ने सवा सौ करोड़ देशवासियों को जिस ‘अच्छे दिन’ के ख्वाब दिखाये थे, उसे भ्रष्टाचार पर अंकुश के बिना पूरा कर पाना शायद मुमकिन नहीं होगा. यह सही है कि पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा है, लेकिन सरकार ने विदेश में जमा कालेधन की घोषणा से संबंधित कानून में सुधार के अलावा कोई अन्य बड़ा कदम नहीं उठाया है, जिससे लगे कि भारत से भ्रष्टाचार का अंत निकट है. इस दौरान कई राज्यों से भ्रष्टाचार एवं घोटालों की खबरें लगातार आती रही हैं.  भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए सशक्त लोकपाल की जनाकांक्षा अभी पूरी नहीं हो सकी है. दुनिया के कई देशों का उदाहरण हमारे सामने है, जिस समाज में भ्रष्टाचार कम होता है, वह अधिक उत्पादक एवं रचनात्मक बन जाता है, जबकि जहां भ्रष्टाचार बढ़ता है, वहां  गरीबी और असमानता की खाई भी बढ़ती जाती है. जाहिर है, विकास की राह पर सरपट दौड़ने को आतुर भारतीय अर्थव्यवस्था की राह से भ्रष्टाचार का अवरोधक हटा कर ही सवा सौ देशवासियों के जीवन में खुशहाली लायी जा सकती है. उम्मीद करनी चाहिए कि मोदी सरकार ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करने की दिशा में शीघ्र कुछ और कारगर कदम उठायेगी. 
Answered by ItzMrSwaG
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खर्च होनेवाली बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है, जिससे लक्षित समूहों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है. इस लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही ही कहा है कि ‘वंचितों, गरीबों और किसानों को उनके अधिकार दिये जा सकते हैं, युवाओं को आत्मनिर्भर और महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भ्रष्टाचार से निपटना होगा.’ केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ की ओर से नयी दिल्ली में बुधवार को आयोजित छठे  ‘ग्लोबल फोकल प्वाइंट कॉन्फ्रेंस ऑन एसेट रिकवरी’ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से कड़ाई से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और अफसरशाही को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है. याद करें तो पिछले साल सत्ता में आने से पहले उन्होंने  ईमानदार भारत के लिए ‘मिनिमम गवर्नमेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस’ का लोकप्रिय नारा दिया था. भ्रष्टाचार ही वह मुद्दा था, जिसके चलते पूर्व की कांग्रेसनीत  यूपीए-2 सरकार की साख को बट्टा लगा था और मतदाताओं ने कांग्रेस को हाशिये पर पहुंचा दिया था. लेकिन, अपने चुनावी अभियान में नरेंद्र मोदी ने सवा सौ करोड़ देशवासियों को जिस ‘अच्छे दिन’ के ख्वाब दिखाये थे, उसे भ्रष्टाचार पर अंकुश के बिना पूरा कर पाना शायद मुमकिन नहीं होगा. यह सही है कि पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा है, लेकिन सरकार ने विदेश में जमा कालेधन की घोषणा से संबंधित कानून में सुधार के अलावा कोई अन्य बड़ा कदम नहीं उठाया है, जिससे लगे कि भारत से भ्रष्टाचार का अंत निकट है. इस दौरान कई राज्यों से भ्रष्टाचार एवं घोटालों की खबरें लगातार आती रही हैं.  भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए सशक्त लोकपाल की जनाकांक्षा अभी पूरी नहीं हो सकी है. दुनिया के कई देशों का उदाहरण हमारे सामने है, जिस समाज में भ्रष्टाचार कम होता है, वह अधिक उत्पादक एवं रचनात्मक बन जाता है, जबकि जहां भ्रष्टाचार बढ़ता है, वहां  गरीबी और असमानता की खाई भी बढ़ती जाती है. जाहिर है, विकास की राह पर सरपट दौड़ने को आतुर भारतीय अर्थव्यवस्था की राह से भ्रष्टाचार का अवरोधक हटा कर ही सवा सौ देशवासियों के जीवन में खुशहाली लायी जा सकती है. उम्मीद करनी चाहिए कि मोदी सरकार ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करने की दिशा में शीघ्र कुछ और कारगर कदम उठायेगी.

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