बस की यात्रा नामक पाठ के लेखक व्यापार की विधा क्या है बताइए
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हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे।
लेखक ने वर्णन किया कि वेपाँच मित्र थे।उन्होंने एक कार्यक्रम बनाया कि शाम चार बजे की बस से चलेंगे। ये जो चार बजे की बस है यही उन्हें उनकी मंजिल तक पहुँचने में मदद करेगी। पन्ना (पन्ना जगह का नाम) से ये बस चलने वाली थी । करीबन एक घंटे बाद पन्ना से सतना के लिए उन्हें बस मिलनी थी । लेखक और उनके मित्रों को जबलपुर जाना है
बस की यात्रा प्रश्न अभ्यास (महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर )
प्र॰1 “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर- लेखक के मन में हिस्सेदार के प्रति श्रद्धाभाव इसलिए जगी क्योंकि वह थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में बस का टायर नहीं बदलवा रहा था और अपने साथ-साथ यात्रियों की जान भी जोखिम में डाल रहा था इसलिए लेखक ने श्रद्धाभाव कहकर उसपर व्यंग किया है।
प्र॰2 “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर- लोगों ने लेखक को शाम वाली बस में सफर न करने की सलाह उसकी जीर्ण-शीर्ण हालत को देखकर दी। यदि रात में वह कहीं खराब हो गई तो परेशानी होगी। लोगो ने इस बस को डाकिन भी कहा।
प्र॰3 “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर- सारी बस लेखक को इंजन इसलिए लगी क्योंकि पूरी बस में इंजन की आवाज़ गूंज रही थी।
प्र॰4 “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर- लेखक को इस बात पर हैरानी हुई की इतनी टूटी-फूटी बस कैसे चल सकती है। वे यह मानते हैं कि इस बस को कौन चला सकता है। यह तो स्वयं ही चल सकती है।
प्र॰5 “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर- लेखक को बहुत डर लग रहा था। उन्हें ऐसा लग रहा था कि बस अभी किसी पेड़ से टकरा जाएगी और वो लोग जख्मी हो जायेंगे। इसलिए वे पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहे थे।