बस स्थानकावर पर एक घंटा निबंध हिंदी
Answers
Explanation:
बस स्टैंड पर एक घंटा।
गर्मी की छुट्टियों में, मैं अपने गांव गया था वाह जाने के लिए मुझे बस से जाना था इसीलिए मैं बस स्टैंड पहुंचा। बस स्टैंड पर काफी भीड़ थी और मेरे मन में विचार आया बस से यात्रा करना कोई आसान बात नहीं क्योंकि बस स्टैंड पर खड़े हुए व्यक्ति के पास कम से कम एक छोटी थैली भर समान तो था ही।
बस स्टैंड के एक तरफ कुछ लोग सफेद गणवेश में थे उनके कपड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे है। इतने में एक बस आती है और सभी लोग उस बस में चढ़ जाते है। थोड़े ही देर में वह बस वहा से निकल जाती है। मुझे लगा कि अब लोगों की भीड़ थोड़ी कम हो जाएगी पर मैं गलत था क्योंकि और लोग बस स्टैंड पर आ गए। अब मुझे समझ आ गया था कि बस स्टैंड पर लोगों की भीड़ कुछ कम नहीं होने वाली।
बस स्टैंड की दूसरी तरफ एक छोटा सा ऑफिस था वहां पर कुछ लोग खाकी रंग के कपड़े पहने हुए थे कुछ लोग काम कर रहे थे तो कुछ आराम कर रहे थे। यह सभी लोग बस स्टैंड के कर्मचारी थे। अगर किसी को कोई भी मदद की जरूरत होती है तो यह लोग उनकी मदद करते है।
बस स्टैंड को बस डिपो भी कहा जाता है या मुझे वहां जाकर पता चला। बस स्टैंड पर एक बड़ा स्पीकर लगा हुआ था जहां पर आने वाली बस की और जाने वाली बस की जानकारी दी जाती थी। इस जानकारी के अनुसार ही लोग बस में चड़ते थे।
बस स्टैंड के आजू-बाजू में काफी सारी खाने-पीने की दुकानें थी। लोग बस से उतरने के बाद नाश्ता करने के लिए इन दुकानों पर जाते थे वहां पर कुछ दुकान पर वर्तमान पत्र तो कुछ पर पुस्तकें मिल रहे थे।
बस स्टैंड पर पाठशाला जाने वाले विद्यार्थियों के लिए एक अलग से बस होती है जिसमें सारे पाठशाला जाने वाले बच्चे बैठे हुए थे इस बस में काफी भीड़ थी, घंटी देते ही बस वहा से रवाना हो गई।
यह सब चीजें बस स्टैंड पर देखते हुए मेरा वक्त कैसे गुजरा मुझे पता भी नहीं चला मुझे बस स्टैंड पर आए हुए एक घंटा बीत चुका था और तभी मेरी बस की घोषणा स्पीकर पर हुई। मैं जैसे तैसे बस में चढ़ गया बस स्टैंड पर फिर भी उत्नीही भीड़ थी, बस स्टैंड पर मुझे काफी अलग अनुभव मिला, जो मैं कभी भी नहीं भूल सकता।
Answer:
दोस्तों आज हम बस स्टैंड पर अनुभव किया हुआ एक घंटा इस विषय पर हिंदी निबंध लेकर आए है, बस स्टैंड पर एक घंटा या हिंदी निबंध आपको जरूर पसंद आएगा तो चलिए निबंध शुरू करते है।
गर्मी की छुट्टियों में, मैं अपने गांव गया था वाह जाने के लिए मुझे बस से जाना था इसीलिए मैं बस स्टैंड पहुंचा। बस स्टैंड पर काफी भीड़ थी और मेरे मन में विचार आया बस से यात्रा करना कोई आसान बात नहीं क्योंकि बस स्टैंड पर खड़े हुए व्यक्ति के पास कम से कम एक छोटी थैली भर समान तो था ही।
बस स्टैंड के एक तरफ कुछ लोग सफेद गणवेश में थे उनके कपड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे है। इतने में एक बस आती है और सभी लोग उस बस में चढ़ जाते है। थोड़े ही देर में वह बस वहा से निकल जाती है। मुझे लगा कि अब लोगों की भीड़ थोड़ी कम हो जाएगी पर मैं गलत था क्योंकि और लोग बस स्टैंड पर आ गए। अब मुझे समझ आ गया था कि बस स्टैंड पर लोगों की भीड़ कुछ कम नहीं होने वाली।
बस स्टैंड की दूसरी तरफ एक छोटा सा ऑफिस था वहां पर कुछ लोग खाकी रंग के कपड़े पहने हुए थे कुछ लोग काम कर रहे थे तो कुछ आराम कर रहे थे। यह सभी लोग बस स्टैंड के कर्मचारी थे। अगर किसी को कोई भी मदद की जरूरत होती है तो यह लोग उनकी मदद करते है।
बस स्टैंड के आजू-बाजू में काफी सारी खाने-पीने की दुकानें थी। लोग बस से उतरने के बाद नाश्ता करने के लिए इन दुकानों पर जाते थे वहां पर कुछ दुकान पर वर्तमान पत्र तो कुछ पर पुस्तकें मिल रहे थे।
बस स्टैंड पर पाठशाला जाने वाले विद्यार्थियों के लिए एक अलग से बस होती है जिसमें सारे पाठशाला जाने वाले बच्चे बैठे हुए थे इस बस में काफी भीड़ थी, घंटी देते ही बस वहा से रवाना हो गई।
यह सब चीजें बस स्टैंड पर देखते हुए मेरा वक्त कैसे गुजरा मुझे पता भी नहीं चला मुझे बस स्टैंड पर आए हुए एक घंटा बीत चुका था और तभी मेरी बस की घोषणा स्पीकर पर हुई। मैं जैसे तैसे बस में चढ़ गया बस स्टैंड पर फिर भी उत्नीही भीड़ थी, बस स्टैंड पर मुझे काफी अलग अनुभव मिला, जो मैं कभी भी नहीं भूल सकता।
समाप्त
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