बसंत की सच्चाई : एकांकी :: कश्मीरी सेब :
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बसंत की सच्चाई
Explanation:
बसंत एक गरीब लड़का था।लेकिन वो बेहद स्वाभिमानी लड़का था।वो अपनी मेहनत के दम पर ही जीवन में कुछ बनना चाहता था।
बसंत मुफ्त के पैसे को भीख समझता था। इसलिए वह राजकिशोर से मुफ्त में पैसे लेने से इनकार करता है। छलनी खरीदने के बाद राजकिशोर ने एक रुपये का नोट बसंत को दिया। बसंत उस नोट को भुनाने के लिए बाज़ार की ओर गया। लेकिन वापस आते समय मोटर दुर्घटना से उसके दोनो पैर कुचले गये। इस लिए वह राजकिशोर के पास न लौट सका। जब उसे होश आया तो उसने तुरंत अपने भाई प्रताप को पैसे लौटाने के लिए राजकिशोर के यहाँ भेजा। इस घटना से हमे लगता है कि बसंत ईमानदार भी है और स्वाभिमानी भी।
बसंत और प्रताप के माँ-बाप को किसी ने दंगों में मार डाला था। अत: उनके परिवार वे दो भाई ही बचे थे। भीखू अहीर के घर में इनका पालन-पोषण हो रहा था। इसलिए वे दोनों अहीर के घर में रहते थे।पं. राजकिशोर ने बसंत की याचना सुनकर उसे मुफ्त में दो पैसे देने के लिए तैय्यार होते हैं। जब उस बालक के द्वारा मना करने पर उसकी छलनी खरीद लेते हैं। मोटर दुर्घटना की खबर सुनते ही डॉक्टर को बुलाकर बसंत के घर जाते हैं और उसका उपचार करवाते हैं। इसतरह गरीब बालक के प्रति हमदर्दी दिखाते हुए आदर के साथ मानवीय व्यवहार दर्शाते हैं।
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कश्मीरी सेब: कहानी |
Explanation:
- बसंत की सच्चाई की विदा एकांकी है वही कश्मीरी सेब की विधा कहानी है।
- बसंत की सच्चाई विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित एकांकी है जबकि कश्मीरी सेब प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक कहानी है।
- दिए गए प्रश्नों में बसंत की सच्चाई की विधा को बताया गया है और इसी प्रकार हमें कश्मीरी सेब की विधा का पता लगाना है।
- अंततः कश्मीरी सेब की विधा कहानी है।
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Summary of story Kashmiri seb of Premchand
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