बटों को जिदनी बेरोकटोक चलती है।
बेटे बेसहारे बन जाते हैं।
नरेंद्र पुंडरीक की कविता है।
पुल बनी थी मां
मां को इस कविता में
मां घर के सदस्यों को
माँ रूपी पुल से
माँ के अभाव में
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wah wahtguf gytluvt7yovuovt9
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