बदलते वर्तमान समाज एवं शिक्षार्थी की आवश्यकता की पूर्ति हेतु एक शिक्षक होने के नाते आप किस प्रकार का बदलाव करना चाहते हैं कम से कम दो उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए
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शिक्षक को समाज की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है क्योंकि वे हमारें चरित्र के निर्माण, भविष्य को आकार देने में और देश का आदर्श नागरिक बनने में हमारी मददकरते हैं।
माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते, लेकिन शिक्षक ही हैं जिन्हें हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है।
आज भी बहुत से शिक्षक शिक्षकीय आदर्शों पर चलकर एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ ऐसे भी शिक्षक हैं जो शिक्षक और शिक्षा के नाम को कलंकित कर रहे हैं, ऐसे शिक्षकों ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया है, जिससे एक गरीब विद्यार्थी को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है औरधन के अभाव से अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। शिक्षक वह पथ प्रदर्शक होता है जो हमें किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
आज के समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण हो गया है। शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। पुराने समय में भारत में शिक्षा कभी व्यवसाय या धंधा नहीं थी।
आजकल तो विद्या दान देने वाले सर कहें जाते हैं। वो दक्षिणा के रूप में एक बड़ी रकम लेकर शिष्यों के सर में किताबी ज्ञान भर देने भर से ही मतलब रखते हैं।प्राचीन काल के तपस्वी गुरु और आज के रुपए के पीछे भागने वालेसर या मैडम में जमीन आकाश का अंतर हैं।आज के शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठां पर आइये जरा विचार करें।सरकारी स्कूलों के अधिकतर शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में न पढ़ाकर प्राइवेट अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाते हैं,क्योंकि इन्हे खुद सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर विश्वास नहीं है। पढ़ाने के मामले में ये स्वयं कर्तव्यनिष्ठ नहीं है,इसीलिएइन्हे अच्छी तरह से मालूम है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसीहोती है ? गली गली में निजी स्कूलों का खुलना, उनमे दाखिले के लिए आम जनता की भागदौड़ और उनका बड़ी सफलता से चलना इस बात का सूचक है कि सरकारी स्कूलों की हालत भवन से लेकर पढ़ाई तक हर मामले में कितनी जर्जर हो चुकी है। सरकारीस्कूलों में वेतन के रूप में हर माह एक बड़ी रकम लेने वाले और ताल तिकड़म से सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का मेडल तक पा लेने वाले शिक्षक और शिक्षा को महज कमाई का जरिया बना आमजनता को लूटने वाले नीजि स्कूल आज कितने राम, लक्ष्मण, कृष्ण, अर्जुन, चन्द्रगुप्त,भगतसिंह और गांधी जैसे महापुरुष पैदा कर रहेहैं ?ये तो बच्चों को स्वार्थी और संस्कारहीन बना रहे हैं। आज के शिक्षक को बिना किसी भेदभाव के सबको देश के बारे में बताना चाहिए
माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते, लेकिन शिक्षक ही हैं जिन्हें हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है।
आज भी बहुत से शिक्षक शिक्षकीय आदर्शों पर चलकर एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ ऐसे भी शिक्षक हैं जो शिक्षक और शिक्षा के नाम को कलंकित कर रहे हैं, ऐसे शिक्षकों ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया है, जिससे एक गरीब विद्यार्थी को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है औरधन के अभाव से अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। शिक्षक वह पथ प्रदर्शक होता है जो हमें किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
आज के समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण हो गया है। शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। पुराने समय में भारत में शिक्षा कभी व्यवसाय या धंधा नहीं थी।
आजकल तो विद्या दान देने वाले सर कहें जाते हैं। वो दक्षिणा के रूप में एक बड़ी रकम लेकर शिष्यों के सर में किताबी ज्ञान भर देने भर से ही मतलब रखते हैं।प्राचीन काल के तपस्वी गुरु और आज के रुपए के पीछे भागने वालेसर या मैडम में जमीन आकाश का अंतर हैं।आज के शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठां पर आइये जरा विचार करें।सरकारी स्कूलों के अधिकतर शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में न पढ़ाकर प्राइवेट अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाते हैं,क्योंकि इन्हे खुद सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर विश्वास नहीं है। पढ़ाने के मामले में ये स्वयं कर्तव्यनिष्ठ नहीं है,इसीलिएइन्हे अच्छी तरह से मालूम है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसीहोती है ? गली गली में निजी स्कूलों का खुलना, उनमे दाखिले के लिए आम जनता की भागदौड़ और उनका बड़ी सफलता से चलना इस बात का सूचक है कि सरकारी स्कूलों की हालत भवन से लेकर पढ़ाई तक हर मामले में कितनी जर्जर हो चुकी है। सरकारीस्कूलों में वेतन के रूप में हर माह एक बड़ी रकम लेने वाले और ताल तिकड़म से सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का मेडल तक पा लेने वाले शिक्षक और शिक्षा को महज कमाई का जरिया बना आमजनता को लूटने वाले नीजि स्कूल आज कितने राम, लक्ष्मण, कृष्ण, अर्जुन, चन्द्रगुप्त,भगतसिंह और गांधी जैसे महापुरुष पैदा कर रहेहैं ?ये तो बच्चों को स्वार्थी और संस्कारहीन बना रहे हैं। आज के शिक्षक को बिना किसी भेदभाव के सबको देश के बारे में बताना चाहिए
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