budhi kaki Ka charitra chitran
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कहानी की काकी में भी जिह्वास्वाद के अतिरिक्त और कोई इच्छा शेष न थी। जब काकी को समय पर भोजन नहीं मिलता तो वह जोर-जोर से चिल्लाकर रोती थी। इसका चित्रण इस प्रकार है- ''भोजन का समय टल जाता या उसका परिणाम पूर्ण न होता, अथवा बाजार से वस्तु आती और न मिलती तो रोने लगती थीं। बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है।
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budhi kaki Ka charitra chitran
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कहानी की काकी में भी जिह्वास्वाद के अतिरिक्त और कोई इच्छा शेष न थी। जब काकी को समय पर भोजन नहीं मिलता तो वह जोर-जोर से चिल्लाकर रोती थी। इसका चित्रण इस प्रकार है- ''भोजन का समय टल जाता या उसका परिणाम पूर्ण न होता, अथवा बाजार से वस्तु आती और न मिलती तो रोने लगती थीं। बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है।
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