budhiya ke bete ki mrityu se use gyaan aur maal dono ki haani kaise hui?
From ' Dukh ka Adhikar '.
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बुढ़िया का तेईस वर्षीय जवान बेटा ही उसका एकमात्र कमाऊ सदस्य था। वह शहर के पास की डेढ़ बीघा भूमि पर सब्ज़ियाँ उगाकर घर का गुजारा चलाता था। उसकी मृत्यु होने से घर में कोई कमाने वाला सदस्य न बचा। उसकी मृत्यु साँप के काटने से हुई थी। साँप के काटने का इलाज करवाने के लिए उसकी माँ ओझा को बुला लाई थी जिसने झाड़-फेंक और नाग-पूजा के नाम पर तथा दान-दक्षिणा के रूप में अमाज और आटा तक चला गया। उसके लिए कफ़न की व्यवस्था करते हुए साधारण से बचे-खुचे जेवर भी बिक गए जिससे बुढ़िया के पोते-पोती को खाने के लाले पड़ गए। इस प्रकार बुढ़िया के बेटे की मृत्यु से उसे जान और माल दोनों की हानि उठानी पड़ी।
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