बड़े भाई साहब अपनी कॉपियों पर क्या बनाते थे 'बड़े भाई
साहब' पाठ के आधार पर बताइए?
Answers
Answer:
imp
Explanation:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक—दो पंक्तियों में दीजिए-
1. कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन—सी कक्षा में पढ़ते थे?
5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
1. कथा नायक की रुचि मैदान में दौड़ने, कंकरियाँ उछालने, पतंग उड़ाने और दीवारों पर चढ़ कर कूदने में थी।
2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल पूछते थे “ कहाँ थे?”
3. दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई और अधिक आज़ाद हो गया और खूब पतंगें उड़ाने लगा।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे और वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे ।
5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी कापियों पर और किताबों के हाशिए पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे ।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम—टेबिल बनाते समय क्या—क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
2. एक दिन जब गुल्ली—डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
1. छोटे भाई ने प्रातः 6 से 9 बजे तक तीन विषय पढ़ने का निश्चय किया था। स्कूल से लौटकर आधा घंटा विश्राम के उपरांत रात ग्यारह बजे तक अन्य विषय पढ़ने का टाइम-टेबल बनाया था। इसमें केवल उसने घूमने के लिए आधे घंटे का समय निर्धारित किया था। परंतु मैदान की हरियाली, हवा के झोंके, खेल की उछल-कूद का मोह ने उसे टाइम-टेबल का पालन करने नहीं दिया।
2. कई दिनों तक डाँट न पड़ने के कारण छोटा भाई स्वछंद होकर गिल्ली-डंडा खेलने लगा तो बड़े भाई ने क्रोधित होकर उसे लताड़ते हुए कहा कि अव्वल आने पर तुम्हें घमंड हो गया है लेकिन घमंड तो रावण का भी नहीं रहा। अभिमान का अंत विनाश ही होता है।
3. बड़े भाई साहब भले ही बड़े हो मगर उनमें भी लड़कपन था। वे भी खेलना-कूदना और पतंग उड़ाना चाहते थे। लेकिन आदर्श बड़ा भाई बनने की आशा में वे खेल नहीं पाते थे। उनका मानना था कि यदि वे ही सही रास्ते पर नहीं चलेंगे तो छोटे को ठीक कैसे रख पाएँगे।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को सदा परिश्रम करने की सलाह देते थे। वे कहते थे कि यूँ गिल्ली-डंडा, फुटबॉल, पतंग उड़ाना तथा भाग-दौड़ करके समय बर्बाद करना ठीक नहीं है। ऐसे तुम कभी भी परीक्षा में पास नहीं हो पाओगे। इस तरह दादा की मेहनत की कमाई गँवाना अनुचित है। बड़े भाई साहब छोटे भाई को हमेशा सही रास्ता दिखाते थे क्योंकि वे अपने छोटे भाई की सफलता देखना चाहते थे।
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का भरपूर फ़ायदा उठाया। उसने पढ़ना लिखना बिलकुल छोड़ दिया और खेलने कूदने की साथ साथ पतंगें भी उड़ाने लगा।
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. बड़े भाई की डाँट—फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।
2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर—तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?
6. बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?
7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि -
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को ज़िंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
1. लेखक के बड़े भाई यदि समय - समय पर उन्हें न टोकते तो हो सकता था कि लेखक अपनी कक्षा में अव्वल न आते। लेखक को पढ़ने-लिखने का शौक तो था ही नहीं वे तो केवल खेल-कूद में ही मस्त रहा करते थे परंतु बड़े भाई साहब के डर से उन्हें पढ़ना पड़ता था। वास्तव में लेखक ज़हीन थे, थोड़ी-सी परिश्रम से ही वे अपनी कक्षा में अव्वल आ जाते थे। लेकिन सफलता का श्रेय निश्चित रूप से बड़े भाई साहब को जाता है क्योंकि वे लेखक पर अंकुश रखते थे। इस बात को स्वयं लेखक ने भी स्वीकार किया है।
2. पाठ में लेखक के बड़े भाई साहब ने इतिहास की घटनाओं, जामेट्री के नियमों व विधियों तथा ज़रा-सी बात पर कई-कई पृष्ठ वाले निबंध लिखना, बालकों में रटंत शक्ति बढ़ाने पर ज़ोर देना इत्यादि मामलों पर व्यंग्य किया है। यहाँ यह भी कहा गया है कि शिक्षा में ज्ञानवृद्धि पर बल नहीं दिया जाता अपितु आंकड़ों तथा विवरणों का प्रस्तुतीकरण मुख्य है। इस पाठ में परीक्षा प्रणाली पर भी प्रश्न चिह्न लगाया गया है।
पाएँगे।