बड़ी बहुरियां के मायके जाकर भी हरगोबिन संवाद क्यों नहीं सुना पाया ?
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हरगोबिन अपने गांव की बदनामी के भय से बड़ी बहुरिया के मायके जाकर उनका संदेश नहीं सुना पाया।
हरगोबिन एक संवदिया था, संवदिया एक संदेश वाहक को कहते हैं, जिसका काम प्राचीन समय में लोगों के संदेश को एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचाना होता था। हरगोबिन के मन में बड़ी बहुरिया के लिए अत्यंत सम्मान था, क्योंकि उसने बड़ी बहूरिया के अच्छे दिन देखे थे, जब नौकरो-चाकरों की भीड़ लगी रहती थी। लेकिन बड़े भैया की मृत्यु के बाद बड़ी बहुरिया की स्थिति बेहद दयनीय हो गई थी। उन्होंने जब अपनी दयनीय स्थिति का बारे में अपने मायके में संदेश भेजने के लिए हरगोबिन को बुलाया तो हरगोबिन उनकी दयनीय स्थिति देखकर बहुत दुखी हुआ।
हरगोबिन बड़ी बहुरिया को गांव की लक्ष्मी मानता था। वह सोच रहा था यदि गांव की लक्ष्मी की गांव छोड़कर चली आएगी तो गांव में क्या रह जायेगा। उसके गांव के नाम पर लोग थूकेंगे। बड़ी बहुरिया इतनी कष्ट में जीवन व्यतीत कर रही है तो इसके लिए उन सबका दोष है, इसलिए उसके गांव की बड़ी बदनामी होगी। इसलिए गांव की बदनामी के भय से हरगोबिन ने बड़ी बहुरिया का संदेश उनकी मायके में नहीं सुनायाा।
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