बढ़ते हुए आपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए दो व्यक्तियों की परस्पर बातचीत को संवाद के रूप में लिखित
Answers
मित्र 1 : रमेश क्या हुआ , इतना क्या सोच रहे हो ?
मित्र 2 : सोचने वाली तो बात है अनिल , पहले ही पूरी दुनिया इस कोरोना महामारी से परेशान है और इसके चलते हुए भी अपराध बढ़ते ही जा रहे है ।
मित्र 1 : सही कहा , यह बात तो चिंता की है यह सब ऐसे चलेगा तो क्या होगा ?
मित्र 2 : मनुष्य को अभी भी समझ नहीं आ रही है वह अपराध और गलत काम करते ही जा रहा है ।
मित्र 1 : कल हमारे घर के पास स्कूल के बच्चों ने ही चोरी की और वह पकड़े भी गए और बच्चे यह सब करेंगे तो क्या होगा ?
मित्र 2 : अपराध ही अपराध बढ़ते ही जा रहे है , अपने लाभ के लिए सब गलत काम कर रहे है । कलयुग में सच्चाई , ईमानदारी , शिष्टाचार यह सब खत्म हो गया है , सब कुछ धोखे , काम चोरी में बदल गया है । सब आपस में दुश्मन बने हुए है ।
मित्र 1 : यह बस ऐसे ही बढ़ता गया तो हम ईमानदार लोगों का क्या हम तो ऐसे ही रह जाएँगे ।
मित्र 2 : मुझे भी इस बात की चिंता है आज के समय में ईमानदारी रह नहीं गई है ।
मित्र 1 : सब जगह गैरकानूनी बढ़ता ही जा रहा है । सब कार्यालयों में सिफारिश और रिश्फत के बिना कोई काम नहीं करता ।
मित्र 2 : देखते है आगे - आगे क्या होता है , बस हमें हमेशा ईमानदारी के रास्ते में चलना है ।