Hindi, asked by karan5129, 1 year ago

बढ़ते हुए प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए

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Answered by Anonymous
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Answer:

बढ़ते हुए प्रदूषण पर अपने विचार

व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र

के संपादक को पत्र लिखें

सेवा में ,

श्रीमान संपादक महोदय

लेखानगर , किशनगंज , नई दिल्ली

विषय : बढ़ते प्रदूषण पर समाचार पत्रिका

महाशय

सविनय निवेदन यह है कि मैं लेखा नगर काहे का स्थानीय निवासी हूं । दरअसल मैं इस पत्र के माध्यम से आपको यह बताना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में इतना प्रदूषण बढ़ते जा रहा है कि इसे नियंत्रण में लाना मुश्किल साबित होगी । कृपया इस पर एक दृष्टि डालें और इसे सुलझाने का प्रयत्न करें ‌। दरअसल अगर आप बढ़ते प्रदूषण पर अपने विचार को समाचार पत्रिका पर व्यक्त करेंगे , तब सभी लोगों की नजरें इन पर टिकेगी और इन्हें पढ़कर लोग जागरूक बनेंगे । और बढ़ते हुए प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए आगे आएंगे । इसलिए इसलिए मैं आपको इस पत्र के माध्यम से यह सूचित कर रहा हूं । हम लोगों को‌ इस विषय पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए । प्रदूषण एक विश्वस्तरीय मुद्दा है । दुनिया के बड़े-बड़े शहरों में प्रदूषण एक बीमारी की तरह उस शहर को जकड़े हुए हैं । लोगों का जीवन संकट में आ गया है ।

भवदीय

निशांत पाणिनि

#AnswerWithQuality

#BAL

Answered by prameshpatelpp
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बढ़ते हुए प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखें---

सेवा में,

श्रीमान संपादक महोदय

लेखानगर , किशनगंज , नई दिल्ली

विषय : बढ़ते प्रदूषण पर समाचार पत्रिका

महाशय

सविनय निवेदन यह है कि मैं लेखा नगर काहे का स्थानीय निवासी हूं । दरअसल मैं इस पत्र के माध्यम से आपको यह बताना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में इतना प्रदूषण बढ़ते जा रहा है कि इसे नियंत्रण में लाना मुश्किल साबित होगी । कृपया इस पर एक दृष्टि डालें और इसे सुलझाने का प्रयत्न करें ‌। दरअसल अगर आप बढ़ते प्रदूषण पर अपने विचार को समाचार पत्रिका पर व्यक्त करेंगे , तब सभी लोगों की नजरें इन पर टिकेगी और इन्हें पढ़कर लोग जागरूक बनेंगे । और बढ़ते हुए प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए आगे आएंगे । इसलिए इसलिए मैं आपको इस पत्र के माध्यम से यह सूचित कर रहा हूं । हम लोगों को‌ इस विषय पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए । प्रदूषण एक विश्वस्तरीय मुद्दा है । दुनिया के बड़े-बड़े शहरों में प्रदूषण एक बीमारी की तरह उस शहर को जकड़े हुए हैं । लोगों का जीवन संकट में आ गया है ।

भवदीय

निशांत पाणिनि

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