बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है 250 शब्दों में उत्तर दें
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यदि आज हम अपने चारों ओर के वातावरण के संदर्भ में विचार करें तो पाएँगे कि प्रकृति ने अपना क्रोध प्रकट करना प्रारम्भ कर दिया है। आज सबसे बड़ा संकट ग्रीन हाउस प्रभाव से उत्पन्न हुआ है, जिसके प्रभाव से वातावरण के प्रदूषण के साथ पृथ्वी का ताप बढ़ने और समुद्र जल स्तर के ऊपर उठने की भयावह स्थिति उत्पन्न हो रही है। ग्रीन हाउस प्रभाव वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) आदि गैसों की मात्रा बढ़ जाने से उत्पन्न होता है। ये गैस पृथ्वी द्वारा अवशोषित सूर्य ऊष्मा के पुनः विकरण के समय ऊष्मा का बहुत बड़ा भाग स्वयं शोषित करके पुनः भूसतह को वापस कर देती है जिससे पृथ्वी के निचले वायुमण्डल में अतिरिक्त ऊष्मा के जमाव के कारण पृथ्वी का तापक्रम बढ़ जाता है। तापक्रम के लगातार बढ़ते जाने के कारण आर्कटिक समुद्र और अंटार्कटिका महाद्वीप के विशाल हिमखण्डों के पिघलने के कारण समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है जिससे समुद्र तटों से घिरे कई राष्ट्रों के अस्तित्व को संकट उत्पन्न हो गया है। हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आज से पचास वर्ष के बाद मालद्वीप देश समुद्र में डूब जाएगा। भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों के सम्बंध में भी ऐसी ही आशंका व्यक्त की जा रही है।
वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि का कारण बढ़ती हुई जनसंख्या की निरंतर बढ़ रही आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ है। जब एक देश की जनसंख्या बढ़ती है तो वहाँ की आवश्यकताओं के अनुरूप उद्योगों की संख्या बढ़ जाती है। आवास समस्या के निराकरण के रूप में शहरों का फैलाव बढ़ जाता है जिससे वनों की अंधाधुंध कटाई होती है। दूर-दूर बस रहे शहरों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के बहाने वाहनों का प्रयोग बहुत अधिक बढ़ जाता है जिससे वायु प्रदूषण की समस्या भी उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। इस तरह बढ़ती जनसंख्या हमारे पर्यावरण को तीन प्रमुख प्रकारों से प्रभावित करती है।
आज आवश्यकता है कि बढ़ती जनसंख्या पर कारगर रोक लगायी जाए ताकि वर्तमान एवं भविष्य में आने वाली मानव पीढ़ियों को स्वस्थ पर्यावरण में जीवन व्यतीत करने का अवसर मिल सके।
आशा है आपको मेरा उत्तर सही लगे ।।
धन्यवाद।।
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर प्रभाव
Explanation:
आधुनिक युग युग में मानव जितनी तेजी से प्रगति कर रहा है उतनी ही तेजी से विश्व की आबादी भी बढ़ रही है ।आज के युग में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या बन गई है ।जनसंख्या वृद्धि न केवल एक देश के विकास के लिए बल्कि विश्व स्तर पर पर्यावरण के दबाव का कारण बनती है।
पर्यावरण पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव विभिन्न रूप में देखा जा सकता है । जनसंख्या वृद्धि के साथ लोग प्राकृतिक स्रोतों का अधिक उपयोग करने लगते हैं। यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जंगलों को साफ करके अपने घर बसाने लगते हैं, जिससे प्रकृति में एक असंतुलन पैदा हो जाता है।
बढ़ती आबादी के कारण संसाधनों का वितरण सही से नहीं हो पाता है और इसी वजह से लोगों के बीच प्रकृति को नष्ट करने या प्राकृतिक स्रोतों का हनन करने की एक होड़ सी लग जाती है। वे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर अधिक से अधिक भूमि अपने नाम पर हथियाना चाहते हैं । इसी के अलावा वह पृथ्वी के और भी प्राकृतिक स्रोतों पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं जिस वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और यही एक वजह है जिससे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। आधुनिक युग में प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ भूकंप आदि का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है ।
बढ़ती हुई आबादी का ही एक प्रभाव प्रदूषण में भी देखा जा सकता है। आज मानव इतना प्रदूषण फैला रहा है जिससे पर्यावरणीय चक्र की अवधी ही बदल गई है । अब प्रदूषण की वजह से आर्कटिक समुद्र और अंटार्कटिका महाद्वीप के विशाल हिमखंड पिघलने के कारण समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है जिससे विश्व के कई राष्ट्रों को जल विलीन होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यह सब वायुमंडल में मौजूद ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के कारण हो रहा है।
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बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर प्रभाव
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