India Languages, asked by shahinakhan5238, 1 year ago

Bundeli bhasha ka sima kshetra

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Answered by Anonymous
1
Bundelkhand hai.......
Answered by zebronics
2
बुंदेलखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक और भाषिक इकाइयों में अद्भुत समानता है । भूगोलवेत्ताओं का मत है कि बुंदेलखंड की सीमाएँ स्पष्ट हैं, और भौतिक तथा सांस्कृतिक रुप में निश्चित हैं। वह भारत का एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें न केवल संरचनात्मक एकता, भौम्याकार की समानता और जलवायु की समता है, वरन् उसके इतिहास, अर्थव्यवस्था और सामाजिकता का आधार भी एक ही है। वास्तव में समस्त बुंदेलखंड में सच्ची सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक एकता है । बुंदेलखंड के उत्तर में यमुना नदी है और इस सीमारेखा को भूगोलविदों, इतिहासकारों, भाषाविदों आदि सभी ने स्वीकार किया है । पश्चिमी सीमा-चम्बल नदी को भी अधिकांश वीद्वानों ने माना है, परंतु ऊपरी चम्बल इस प्रदेश से बहुत दूर हो जाती है और निचली चम्बल इसके निकट पड़ती है । वस्तुत: मध्य और निचली चम्बल के दक्षिण में स्थित मध्यप्रदेश के मुरैना और भिण्ड जिलों में बुंदेली संस्कृति और भाषा का मानक रुप समाप्त-सा हो जाता है । चम्बल के उस पार इटावा, मैनपुरी, आगरा जिलों के दक्षणी भागों का कोई प्रश्न ही नहीं उठता । भाषा और संस्कृति की दृष्टि से ग्वालियर और शिवपुरी का पूर्वी भाग बुंदेलखंड में आता है और साथ ही उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से लगा हुआ भिण्ड का पूर्वी हिस्सा (लहर तहसील का दक्षिणी भाग) भी, जिसे भूगोलविदों ने बुंदेलखंड क्षेत्र में सम्मिलित किया है । अतएव इस प्रदेश की उत्तर-पशचिम सीमा में मुरैना और शिवपुरी के पठार तथा चम्बल-सिंध जलविभाजक, जोकि उच्च साभूमि है, आते हैं । वास्तव में, यह सीमा सिंध के निचले बेसिन तक जाती है और वह स्थायी अवरोधक नहीं है । ऐसा प्रतीत होता है कि चम्बल और कुमारी नदियों के खारों और बीहड़ों तथा दुर्गम भागों के कारण एवं मुरैना और शिवपुरी के घने जगलों के होने से बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रसार उस पार नहीं जा सका । बुंदेलखंड का पश्चिमी सीमा पर ऊपरी बेतवा और ऊपरी सिंध नदियाँ तथा सीहोर से उत्तर में गुना और शिवपुरी तक फैला मध्यभारत का पठार है । मध्यभारत के पठार के समानांतर विध्यश्रेणियाँ भोपाल से लेकर गुना तथा शिवपुरी के कुछ भाग तक फैली हुई हैं और अवरोधक का कार्य करती हैं ।-२१ इस प्रकार पश्चिम में रायसेन जिले की रायसेन और गौहरगंज तहसीलों के पूर्वी भाग, विदिशा जिले की विदिशा, बासौदा और सिरोंज तहसीलों के पूर्वी भाग; जिनकी सीमा बेतवा बनाती है; गुना जिले की अशोकनगर (पिछोर) और मुंगावली तथा शिवपुरी की पिछोर और करैरा तहसीलें, जिनकी सीमा अपर सिंध बनाती है, बुंदेलखंड के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र हैं । इनमें विदिशा और पद्मावती (पवायाँ) के क्षेत्र इतिहासप्रसिद्ध रहे हैं । विदिशा दशार्णी संस्कृति का प्रमुख केन्द्र रहा है । वैदिश और पद्मावती कै नागों की संस्कृति बुंदेलखंड के एक बड़े भू-भाग में प्रसरित रही है । चंदेलों के समय वे इस जनपद के अंग रहे हैं । सिद्ध है कि इन क्षेत्रों की संस्कृति और भाषा जितनी इस जनपद से मेल खाती है, उतना ही उनका प्राकृतिक परिवेश और वातावरण 

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