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प्राचीन काल में महिलाओं की स्तिथी पर 80 से 100 शब्दों में अनुछेद लिखे।
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प्राचीन पुस्तकों में महिलाओं की स्थिति :
रामायण नामक ग्रन्थ जो की मान्यता अनुसार डाकू से संत बने एक शुद्र वर्ण के ऋषि वाल्मीकि ने लिखा है तथा सभी जाती और वर्ण के लोग उनका आदर और सम्मान करते हैं | इस ग्रन्थ में सर्वप्रथम श्री राम की दूसरी माता कैकयी का वर्णन आता है | यह राजा दशरथ की पत्नी थीं तथा राक्षसों के साथ युद्ध में यह राजा दशरथ के साथ राक्षसों से लड़ी थी | यही नहीं राजा दशरथ के रथ का पहिया टूट जाने पर इन्होने अपने हाथ की ऊँगली काट कर उसमे लगा दी थी , जिससे राजा दशरथ युद्ध जीत सके थे | इसी समय राजा दशरथ ने इन्हें एक वरदान मांगने को कहा था जो उन्होंने बाद में मंथरा के भड़काने के कारण श्री राम को वन भेजने के रूप में माँगा |[ii] क्या कैकई जो युद्ध लडती हैं , पति तथा राजा को अपने निर्णय के आगे झुका लेती हैं , युवराज को वन भेज देती हैं , वो कही से भी कमजोर नारी का प्रतीक नजर आती हैं ???? यह एक सोचने योग्य बात है | मगर बेचारे अंग्रेजी साहित्यकार और उनके नकलची भारतीय नारीवादी वामपंथी इन तथ्यों को क्यों देखेंगे |
इसी तरह महाभारत साहित्य में भी एक द्रोपदी के अपमान पर सौ कौरवो का नाश कर दिया जाता है | कुंती तथा गांधारीभी जहाँ समानता से पति के सम्मुख बैठती एवं बातें करती हैं | जहाँ सुभद्रा और रुक्मणि अपने वर स्वयं चुनती हैं |[iii] उन ग्रंथों में यदि किसी को नारी पर अत्याचार दिखाई देता है , तो यह उसका तथ्यों से आँखे मूंदना नहीं तो और क्या कहा जाएगा |
इसी तरह माता पार्वती के हठ के कारण भगवान् शंकर को गणेश जी को जीवित करना पड़ता है एवं एक कथा के अनुसार माता काली को शांत करने के लिए स्वयं उनके पति भगवान् शिव को उनके चरणों के नीचे लेटना पड़ता है | जिससे उनका गुस्सा शांत होता है | यही नहीं हर देवता के नाम के पहले स्त्री का नाम आता है जैसे राधा-कृष्ण, सीता-राम, उमा-शंकर, जानकी-वल्लभ, लक्ष्मी-नारायण आदि क्या यह सब भारत में महिलाओं की बुरी स्थिति की ओर इशारा करते हैं, यह सोचे योग्य बात है ?
☺️☺️☺️
आशा करता हूँ उत्तर अच्छा लगेगा✍️✍️✍️
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प्राचीन पुस्तकों में महिलाओं की स्थिति :
रामायण नामक ग्रन्थ जो की मान्यता अनुसार डाकू से संत बने एक शुद्र वर्ण के ऋषि वाल्मीकि ने लिखा है तथा सभी जाती और वर्ण के लोग उनका आदर और सम्मान करते हैं | इस ग्रन्थ में सर्वप्रथम श्री राम की दूसरी माता कैकयी का वर्णन आता है | यह राजा दशरथ की पत्नी थीं तथा राक्षसों के साथ युद्ध में यह राजा दशरथ के साथ राक्षसों से लड़ी थी | यही नहीं राजा दशरथ के रथ का पहिया टूट जाने पर इन्होने अपने हाथ की ऊँगली काट कर उसमे लगा दी थी , जिससे राजा दशरथ युद्ध जीत सके थे | इसी समय राजा दशरथ ने इन्हें एक वरदान मांगने को कहा था जो उन्होंने बाद में मंथरा के भड़काने के कारण श्री राम को वन भेजने के रूप में माँगा |[ii] क्या कैकई जो युद्ध लडती हैं , पति तथा राजा को अपने निर्णय के आगे झुका लेती हैं , युवराज को वन भेज देती हैं , वो कही से भी कमजोर नारी का प्रतीक नजर आती हैं ???? यह एक सोचने योग्य बात है | मगर बेचारे अंग्रेजी साहित्यकार और उनके नकलची भारतीय नारीवादी वामपंथी इन तथ्यों को क्यों देखेंगे |
इसी तरह महाभारत साहित्य में भी एक द्रोपदी के अपमान पर सौ कौरवो का नाश कर दिया जाता है | कुंती तथा गांधारीभी जहाँ समानता से पति के सम्मुख बैठती एवं बातें करती हैं | जहाँ सुभद्रा और रुक्मणि अपने वर स्वयं चुनती हैं |[iii] उन ग्रंथों में यदि किसी को नारी पर अत्याचार दिखाई देता है , तो यह उसका तथ्यों से आँखे मूंदना नहीं तो और क्या कहा जाएगा |
इसी तरह माता पार्वती के हठ के कारण भगवान् शंकर को गणेश जी को जीवित करना पड़ता है एवं एक कथा के अनुसार माता काली को शांत करने के लिए स्वयं उनके पति भगवान् शिव को उनके चरणों के नीचे लेटना पड़ता है | जिससे उनका गुस्सा शांत होता है | यही नहीं हर देवता के नाम के पहले स्त्री का नाम आता है जैसे राधा-कृष्ण, सीता-राम, उमा-शंकर, जानकी-वल्लभ, लक्ष्मी-नारायण आदि क्या यह सब भारत में महिलाओं की बुरी स्थिति की ओर इशारा करते हैं, यह सोचे योग्य बात है ?
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sanakhan000:
nice ans
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प्राचीन काल के भारत में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता था। परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया महिलाओं की स्थिति में भीषण बदलाव आया। महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी थी। बहुविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि जैसे मामले उजागर होना एक आम बात बनने लगी थी। बिगड़ते हालातों को देखते हुए महान नेताओं तथा समाज सुधारकों ने इस दिशा में काम करने की ठानी। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि महिलाओं की बिगड़ती स्थिति पर काबू पाया जा सका। उसके बाद भारतीय सरकार ने भी इस दिशा में काम किया। सरकार ने पंचायती राज प्रणाली में 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी ताकि वे आगे आकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके।
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