Music, asked by poonampatil6176, 5 months ago

चाहे सभी सुमन बिक जाएँ चाहे ये उपवन बिक जाएँ
चाहे सौ फागुन बिक जाएँ पर मैं गंध नही बेचूँगा ka saral arth likhiye in hindi​

Answers

Answered by kashish2824
4

Answer:

बालकवि बैरागी जी का गीत अपनी गंध नहीं बेचूंगा प्रतिबद्धता के दायरे में लिखा हुआ एक सरल, सहज किंतु गहरी जन संवेदनाओं से युक्त गीत है। बाल कवि बैरागी इस गीत के माध्यम से अपनी अनुभूतियों को आम आदमी तक पहुंचाते हुए स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस संसार की सब चीजें बिक सकती हैं परंतु मैं अपने अंत:करण में उपजी चीजों को नहीं बेज सकता हूँ। सारा संसार समझौते करने पर आमादा है, परंतु मैं समझौतावादी व्यक्ति नहीं हूँ। समझौतावादी और अवसरवादी व्यक्तित्व के व्यवहार से ऊपर उठते हुए वे जनवादी रूप में खड़े हुए दिखाई देते हैं। उनके सामने कई प्रकार की कठिनाइयों की दीवारें खड़ी हुई है, परंतु वे अपने गीत में बार-बार उन दीवारों से टकराते हैं, उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं; इस बात का स्पष्ट संकेत देते हैं कि जीवन में सब कुछ खो दिया जाए परंतु भीतर का आत्म-सम्मान कभी नहीं खोना चाहिए।

- डॉ. मोहसिन खान

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