चालुक्यों की सांस्कृतिक विरासत के बार में बताएँ।।
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चालुक्य वंश प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध राजवंश था। जिसकी राजधानी वातापी थी। चालुक्य वंश आज के कर्नाटक, महाराष्ट्र, दक्षिणी-मध्य प्रदेश, और गुजरात के कुछ हिस्सों तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ था। चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन प्रथम ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था। इसी वंश के एक राजा विक्रमादित्य संस्थान ने प्रसिद्ध कवि विल्हण को अपने दरबार में संरक्षण प्रदान किया।
विल्हण ने विक्रमादित्य के जीवन पर आधारित ‘विक्रमांकदेव चरित’ नामक ग्रंथ की रचना की। वातापी और कल्याणी के चालुक्य नरेशों ने हिंदू होने के बावजूद बौद्ध और जैन धर्म को भी सम्मान और प्रश्रय दिया। चालुक्य राजाओं ने अनेक मंदिरों का निर्माण कराया था। याज्ञवल्क्य स्मृति की मिताक्षरा व्याख्या के लेखक ‘विज्ञानेश्वर’ चालुक्य चालुक्य काल के ही थे। मिताक्षरा को हिंदू कानून का एक आधिकारिक ग्रंथ माना जाता है।